केंद्र सरकार अगले सप्ताह वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लोकसभा में पेश कर सकती है,विवाद पर CAA-NRC जैसे राष्ट्रव्यापी विरोध की तैयारी

 नई दिल्ली।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के देश भर से आए प्रतिनिधियों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन में शामिल मुसलमानों ने इसे उनकी धार्मिक आजादी में सरकार का हस्तक्षेप बताया। मुसलमान नेताओं ने केंद्र सरकार से वक्फ संशोधन बिल वापस लेने की मांग की है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यदि सरकार इसे वापस नहीं लेती है तो वे पूरे देश में सीएए-एनआरसी जैसा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। तो क्या एक बार फिर पूरे देश में शाहीन बाग जैसे धरने-प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं? प्रदर्शनकारियों ने इसी तरह के तेवर दिखाए हैं। भाजपा ने कहा है कि यह संसद की कानून बनाने की संवैधानिक शक्ति को संख्या बल के आधार पर दी जा रही चुनौती है। इसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।

प्रदर्शनकारी मोहम्मद इस्लाम ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार मुसलमानों के हर मुद्दे में छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रही है। कभी तीन तलाक के मुद्दे पर तो कभी विवाह करने की प्रथाओं के मुद्दे पर और कभी मदरसे पर कानूनी डंडा चलाकर वह हमारे धार्मिक अधिकारों में कटौती करना चाहती है। लेकिन अब इसे और स्वीकार नहीं किया जाएगा। वे पूरे देश में इसका पुरजोर विरोध करेंगे।

सलमान आलम ने कहा कि केंद्र सरकार अपने हर मामले को आधुनिकता के साथ जोड़ती है। उसका दावा रहता है कि वह पिछड़े मुसलमानों को विकास की मुख्यधारा में लाकर उनका विकास करना चाहती है। तीन तलाक और मदरसे के मामलों को भी मुसलमानों को आधुनिक दुनिया के अनुसार चलाने की कोशिश बताई गई थी। लेकिन सरकार को यह समझना चाहिए कि धार्मिक मामले समय के अनुसार बदलने वाले नहीं होते। यह हमारी धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

वक्फ मामले पर दूसरे पक्ष के लोगों की चिंता यह है कि वक्फ नियमों की आड़ में किसी भी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति करार दे दिया जाता है। हाल ही में प्रयागराज में आयोजित हुए महाकुंभ के दौरान एक मौलाना ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि महाकुंभ जिस भूमि पर हो रहा है, वह वक्फ की जमीन है। इसी तरह दक्षिण भारत के हजारों साल पुराने गांवों को अचानक वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित करने से भी विवाद खड़ा हुआ था।

कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार वक्फ बो्र्ड कानून में उचित बदलाव कर इस तरह के विवादों को हमेशा के लिए समाप्त करना चाहती है। बदलावों में वक्फ की कमेटी में उचित लोगों को जगह देकर वक्फ की संपत्तियों को उचित तरीके से देखभाल करना और इसका लाभ आम मुसलमानों तक पहुंचाना शामिल है। सरकार वक्फ की संपत्तियों का डिजिटल लेनदेन रखने का फॉर्मूला भी तैयार करने का बदलाव प्रस्तावित कर सकती है जिससे किसी गलत दावे के समय सही निर्णय लिया जा सके।

इससे यह लाभ होगा कि वक्फ बोर्ड किसी की संपत्ति को गलत तरीके से कब्जा नहीं कर सकेगा, वहीं दूसरे लोग भी वक्फ की संपत्तियों को कब्जा नहीं कर सकेंगे। इस समय वक्फ बोर्ड की हजारों संपत्तियों पर दूसरे लोगों का कब्जा होने की बात कही जा रही है। नए कानून के बाद इस तरह का कोई कब्जा संभव नहीं होगा।

वक्फ बोर्ड कमेटी के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने इस प्रदर्शन को राजनीतिक हितों का प्रदर्शन बताया है। उन्होंने कहा है कि यह सुधार वक्फ बिल में उचित बदलाव कर इसका आम मुसलमानों के हित में उपयोग करना आवश्यक है। वक्फ की संपत्तियों पर कुछ लोगों का अवैध कब्जा है। इसमें सुधार कर इन संपत्तियों का आम मुसलमानों के हित में उपयोग करना चाहिए। कानून इसी मंशा को देखकर लाया गया है।

उन्होंने इन विरोध प्रदर्शनों को अनुचित बताया और कहा कि जब वक्फ बोर्ड कमेटी के सामने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लोगों को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया था, तब वे सामने नहीं आए। ऐसे में उनका अब सार्वजनिक प्रदर्शन करना केवल राजनीति है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस बदलाव के लिए तैयार है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार अगले सप्ताह वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लोकसभा में पेश कर सकती है।