‘मियां की जूती मियां के सर’ ने दर्शकों को गुदगुदाया ,आरंभ से अंत तक लगे ठहाके 

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) कालिदास अकादमी के सभागृह में फ्रांस के मशहूर नाटककार मोलियर द्वारा रचित और टी एन कोहली का अनुवाद शरद शर्मा का प्रस्तुति आलेख और निर्देशन “मियां की जूती मियां के सर“ का मंचन अभिनव रंगमंडल द्वारा किया गया। नाटक पूरी तरह हास्य और व्यंग्य पर आधारित था, नाटक का आरंभ ही नाटक के मुख्य पात्र मिर्जा बर्बाद के व्यंग्यात्मक लंबे संवाद से होता है। आरंभ से अंत तक लोग नाटक में ठहाके लगाते रहे।

मिर्जा साहब बुढ़ापे में अपने से 2 गुना कम उम्र की लड़की से शादी कर लेते हैं जिसका मोहल्ले के एक लड़के से प्रेम हो जाता है मिर्जा साहब को जब पता चलता है क्योंकि युवा पत्नी मोहल्ले के लड़के से प्रेम कर रही है तो वह अपने ससुर से इसकी शिकायत करते हैं लेकिन लड़की अपनी चालाकी से हर बार मिर्जा को गलत साबित कर देती है और इन्हीं स्थितियों से हास्य पैदा होता है। मिर्जा के रूप में वीरेंद्र थाने और घर पकड़ अली के रूप में अजय गोस्वामी ने अपने नियंत्रित अभिनय से नाटक में रोचकता बनाए रखी। घर बिगाड़ खाकी भूमिका में अनिकेत पटेल और भंडाफोड़ जाफरी की भूमिका में संजय शर्मा ने अपनी क्षमता का परिचय दिया, दिलजान और उलझन की भूमिका में कृति जनवदे और यासमीन सिद्धिकी ने अपनी अभिनय क्षमता का भरपूर इस्तेमाल किया।
शरद शर्मा ने न केवल अपने पात्रों का चरित्र चित्रण बखूबी किया, बल्कि उनसे नियंत्रित अभिनय भी करवाया, दृश्य की रचना उन्होंने इस तरह से की कि मंच को उन्होंने लगातार गतिशील बनाए रखा, प्रसंग विशेष में फिल्मी गानों का अच्छा उपयोग किया तो दृश्य विशेष को उभारने के लिए संवेदनशील प्रकाश योजना भी तैयार की। यह नाटक अपने मनोरंजक तत्वों के कारण बेहद प्रभावी रहा। संगीत संचालन और ध्वनि अंकन भूषण जैन का था वेशभूषा सुधा शर्मा, प्रकाश परिकल्पना शरद शर्मा, प्रकाश संचालन राघवेंद्र, कौशिक और जगरूप सिंह का था मंच निर्माण विशाल मेहता ने किया, मंच सामग्री कृष्णा शर्मा और धर्मेंद्र शर्मा ने तैयार की। अभिनव रंगमंडल की 40 वीं वर्षगांठ वाले वर्ष में यह प्रस्तुति दर्शकों को एक अच्छी सौगात दे गई।  संचालन शरद शर्मा ने किया।