सोमवती अमावस्या पर अवंतिकानाथ श्री महाकालेश्वर भगवान की राजसी ठाठ-बाट से निकली राजसी सवारी,हजारो लोगो ने नहीं किये बाबा महाकाल के दर्शन 

उज्जैन 03 सितम्बर।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) भगवान श्री महाकालेश्वर की इस वर्ष की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में सोमवार 2 सितम्बर को सायं 4 बजे परम्परानुसार श्री महाकालेश्वर भगवान की राजसी सवारी धूमधाम से निकाली गई। रजत पालकी में विराजित श्री चंद्रमौलेश्वर भगवान अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले तो सम्पूर्ण उज्जयिनी भगवान श्री महाकालेश्वर की जय-जयकार से गुंजायमान हो गई। चारों दिशाओं में भगवान महाकाल की भक्ति में लीन भक्तों के नेत्र त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की एक झलक पाने के लिये अधीर हो उठे। सवारी मार्ग पर मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के परिवारजनों द्वारा भगवान श्री महाकालेश्वर की राजसी सवारी का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।
भगवान श्री महाकाल ने भक्तों को सात रूपों में दिये दर्शन
राजसी सवारी में भगवान श्री महाकालेश्वर ने सात विभिन्न स्वरूपों में अपनें भक्तों को दर्शन दिये। भगवान महाकाल की राजसी सवारी में पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर, गजराज पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, बैलगाड़ी में रथ पर घटाटोप एवं श्री सप्तधान का मुखारविंद विराजित होकर भक्तों को दर्शन दिये।
सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का पूजन-अर्चन विधिवत रूप से प्रभारी मंत्री श्री गौतम टेटवाल ने किया। सभा मंडप में विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा,चिंतामणिय मालवीय, महापौर टटवाल, सभापति श्रीमती यादव ने भी भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन किया और आरती में सम्मिलित हुए। पूजन के बाद निर्धारित समय पर भगवान श्री महाकाल की पालकी नगर भ्रमण के लिये रवाना किया गया। पूजन-अर्चन पुजारी पं.महेश शर्मा व अन्य पुजारियों द्वारा सम्पन्न करवाया गया।
रजत पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर जैसे ही मुख्य द्वार पर पहुंचे असंख्य श्रद्धालुओं ने भगवान श्री महाकालेश्वर का स्वागत-वन्दन किया। वहां पर पुलिस बैण्ड, सशस्त्र पुलिस बल के जवानों तथा प्रदेश के विभिन्न बटालियनों के जवानों द्वारा सवारी को सलामी देकर सवारी के साथ चल रहे थे। पालकी के आगे घुडसवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान आदि की टुकडियां मार्च पास्ट करते हुए चल रही थी। राजाधिराज भगवान महाकालेश्वर की सवारी में भक्त अवंतिकानाथ का झांझ-मंजीरे, डमरू बजाते हुए गुणगान करते हुए चल रहे थे।
भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी परम्परागत मार्गों से होती हुई रामघाट पहुंची। रामघाट पर भगवान महाकाल का क्षिप्रा के जल से जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर रामघाट पर सिंधिया स्टेट के प्रतिनिधियों द्वारा परम्परा अनुसार पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर हाथी पर विराजित भगवान श्री मनमहेश का पूजन-अर्चन किया गया। रामघाट पर भगवान महाकाल का शिप्रा के जल से जलाभिषेक कर पूजन-अर्चन पं.महेश शर्मा आदि पुजारियों के द्वारा सम्पन्न कराया गया। इस दौरान राज्य सभा सांसद बालयोगी उमेशनाथजी महाराज, महापौर श्री मुकेश टटवाल सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की मंशानुरूप राजाधिराज भगवान महाकाल का रामघाट पर पूजन-अर्चन के दौरान हेलीकाप्टर से पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।
सत्यनारायण मन्दिर पर केन्द्रीय मंत्री श्री सिंधिया ने किया पूजन
श्री महाकालेश्वर भगवान के सवारी मार्ग के ढाबा रोड पर स्थित श्री सत्यनारायण मन्दिर पर केन्द्रीय संचार व पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया व उनके पुत्र श्री महाआर्यमान सिंधिया ने पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर का पूजन-अर्चन किया।  इसके पश्चात सवारी टंकी चौराहा, तेलीवाड़ा, कण्ठाल, सतीगेट, छत्रीचौक होते हुए गोपाल मन्दिर पहुंची।
 70 भजन मण्डलियां सवारी में हुई सम्मिलित
श्री महाकालेश्वर भगवान की राजसी सवारी के चल समारोह में सबसे आगे मन्दिर का प्रचार वाहन, यातायात पुलिस, तोपची, भगवान श्री महाकालेश्वर का रजत ध्वज, घुड़सवार, विशेष सशस्त्र बल सलामी गार्ड, स्काऊट गाईड, सेवा समिति के बैण्ड साथ में चल रहे थे। इसके अतिरिक्त प्रदेश के विभिन्न शहरों से परम्परागत रूप से शामिल होने वाली 70 भजन मण्डलियां चल समारोह में भगवान शिव का गुणगान करते हुए चल रही थी। सवारी मार्ग के दोनों ओर हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल के दर्शन कर, पुष्पवर्षा कर अपने आपको धन्य महसूस किया।
प्रदेश के डिंडोरी जिले की जनजाति का गुदुम बाजा लोकनर्तक दल सवारी में शामिल हुआ
श्री महाकालेश्वर की प्रमुख राजसी सवारी में जनजातीय लोककला एवं बोली विकास अकादमी मप्र संस्कृति परिषद के माध्यम से जनजातीय कलाकारों के दल भी शामिल हुए। सवारी में मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले की जनजाति का गुदुम बाजा लोक नर्तक दल श्री दिनेश कुमार भार्वे के नेतृत्व में भजन मण्डलियों के साथ अपनी मनमोहक प्रस्तुति देते हुए चल रहा था। गुदुम बाजा मध्य प्रदेश के डिंडोरी, शहडोल आदि जिलों में रहने वाले जनजातियों का अत्यन्त पारम्परिक वाद्य है। गुदुम बाजा वाद्य के साथ किये जाने वाले प्रदेश के गौंड जनजाति के नृत्य ने सवारी में श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। गुदुम बाजा जनजातीय समाज के मांगलिक उत्सवों मडई मेला धार्मिक उत्सवों इत्यादि अवसरों पर धुलिया जनजाति के पुरूष वर्ग द्वारा बजाया जाता है।
नियमित भक्तो का प्रवेष निषेध 
क्षिप्रा नदी पर पालकी पूजन में नियमित रूप से सभी सवारियों में शामिल होने वाले भक्तो को रोका गया जिससे कई बार विवाद की विवाद की स्थति बनी ,रामानुज कोट बेरीकेट पर पार्षद माया राजेश त्रिवेदी व् पति राजेश त्रिवेदी ने घाट पर पहुचने के लिए पुलिस अधिकारियो से निवेदन किया तो पुलिसकर्मियों ने विवाद कर बल पूर्वक वहा से हटा दिया व् पूजन सामग्री भी सड़क पर गिर गई ,
हजारो लोगो ने नहीं किये बाबा महाकाल के दर्शन
सवारी मार्ग सकरा होने व् पुरे मार्ग पर बेरिकेटिंग होने से हजारो लोगो बाबा महाकाल के दर्शन से वंचित हो गए,बेरीकेट के अन्दर रहे लोगो ने ही दर्शन किये बाकि बाहार से आये लोग जिन्हें बेरीकेट में प्रवेश नही मिला  उन सभी को दर्शन नहीं हुए, अगर समय रहते सवारी मार्गो को चौड़ा नहीं किया तो बाबा महाकाल की सवारी के दर्शन से वंचित रहने वालो की संख्या लाखो में हो जावेगी |
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सिंहस्थ के शाही स्नान गुलामी के प्रतीक 
हैं या स्वतंत्रता के ? – महाकाल सेना
उज्जैन। महाकाल की सवारी यदि शाही शब्द के कारण गुलामी या सामंतवादी प्रतीत होती है तो क्या उज्जैन में लगने वाले सिंहस्थ में अखाड़ों द्वारा शाही स्नान भी गुलामी के प्रतीक हैं। विद्वान लोग स्पष्ट करे। 
प्रत्येक 12 वर्ष में लगने वाले सिंहस्थ में अखाड़ों द्वारा सनातन धर्म के वेदों पुराणों और पंचांगों के आधार पर कुछ विशेष संयोग और तिथि पर शाही स्नान घोषित किए जाते हैं। जिसमें करोड़ों भक्त, साधु-संत, आचार्य महामंडलेश्वर और शंकराचार्य सभी स्नान करते है। तो ऐसा प्रतीत होता हैं की जिन विद्वानों ने शाही शब्द पर प्रश्न किया है उनके अनुसार देश में सनातन धर्म को मानने वाला श्रद्धालु ,साधु-संत या अन्य धर्मयुक्त स्नान नहीं कर रहे वह गुलामी ओर सामंतवादिता का स्नान कर रहे हैं। महाकाल सेना के प्रमुख महेश पुजारी एवं सदस्य रूपेश मेहता ने इस संबंध में कहा कि सभी विद्वान,आचार्य और गणमान्य नागरिक जिन्होंने महाकाल की सवारी में लगने वाले शाही शब्द का विरोध किया हैं। क्या वह लोग मुख्यमंत्री को अवगत कराते हुए सिंहस्थ में अखाड़ों द्वारा घोषित शाही स्नानों को भी धर्मयुक्त नाम में परिवर्तन करने की बात करेंगे। जिससे सनातन धर्म से गुलामी और सामंतवादिता समाप्त हो सके।