CM के निर्देश – नर्मदा तट पर बसे धार्मिक स्थलों के आसपास नहीं होगा मांस-मदिरा का उपयोग

भोपाल।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) मध्यप्रदेश की जीवनदायनी मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक का प्रबंधन पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए अमरकंटक विकास प्राधिकरण के माध्यम से किया जाएगा। भविष्य में होने वाली बसाहटों के लिए नर्मदा नदी के उद्गम स्थल से दूर भूमि चिह्नत कर सेटेलाइट सिटी  विकसित की जाएगी, साथ ही यह सुनिश्चित होगा कि मां नर्मदा के प्राकट्य स्थल अमरकंटक से लेकर प्रदेश की सीमा तक किसी भी बसाहट का सीवेज नर्मदा नदी में नहीं मिले।

इसको लेकर शुक्रवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सुशासन भवन में बैठक बुलाई। इसको संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्मदा में सीवेज न मिले इसके लिए समय-सीमा निर्धारित कर कार्य किया जाए। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग हो। पर्यावरण संरक्षण के लिए नर्मदा के आसपास चलने वाली गतिविधियों पर सैटेलाइट इमेजरी व ड्रोन टेक्नोलॉजी के माध्यम से भी नजर रखी जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए की नर्मदा नदी के तट पर बसे धार्मिक नगरों में और धार्मिक स्थलों व उनके आसपास मांस-मदिरा का उपयोग नहीं हो।

उन्होंने नदी में मशीनों से खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने को कहा है। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, परिवहन तथा स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपत्तिया उइके, मुख्य सचिव वीरा राणा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

बैठक में जानकारी दी गई कि अमरकंटक से आरंभ होकर खंभात की खाड़ी में मिलने वाली 1312 किलोमीटर लंबी नर्मदा नदी की मध्य प्रदेश में लंबाई 1079 किलोमीटर है। नर्मदा जी के किनारे 21 जिले, 68 तहसीलें, 1138 ग्राम और 1126 घाट हैं। नर्मदा किनारे 430 प्राचीन शिव मंदिर और दो शक्तिपीठ विद्यमान हैं। साथ ही कई स्थान और घाटों के प्रति जनसामान्य में पर्याप्त आस्था और मान्यता है। बैठक में मंत्री और अधिकारियों द्वारा भी सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं।

बैठक में लिए प्रमुख निर्णय
उद्गम स्थल अमरकंटक से लेकर प्रदेश की सीमा तक किसी भी बसाहट का सीवेज नर्मदा में न मिले। अमरकंटक में उद्गम स्थल से दूर भूमि चिन्हित कर सैटेलाइट सिटी विकसित की जाए। नर्मदा के आसपास चलने वाली गतिविधियों पर सैटेलाइट इमेजरी व ड्रोन टेक्नोलॉजी से नजर रखें। नदी के दोनों ओर के विस्तार का चिन्हांकन कर क्षेत्र के संरक्षण किया जाए। विकास के लिए विभिन्न विभाग समन्वित कार्ययोजना तैयार करें। नर्मदा परिक्रमा को प्रमुख धार्मिक पर्यटन गतिविधि के रूप में विकसित किया जाए। नर्मदा नदी के दोनों ओर पांच किलोमीटर तक प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जाए। नर्मदा के जल को निर्मल तथा प्रवाह को अविरल बनाए रखें।

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