उज्जैन 16 अगस्त 2021।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण माह के चौथे एवं अंतिम सोमवार को भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी सम्पूर्ण परंपरा व वैभव के साथ सायं 04 बजे सभामंडप में कोटतीर्थ कुण्ड के पवित्र जल से अभिषेक एवं पूजन के उपरान्त नगर भ्रमण पर निकली। सभामण्डप में मंदिर के मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा द्वारा भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन किया गया।
उसके पश्चात श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर आशीष सिंह, पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र कुमार ने भगवान श्री चंद्रमौलीश्वर का पूजन किया। इस दौरान महंत विनीत गिरी, मंदिर समिति की सहायक प्रशासक सुश्री पूर्णिमा सिंगी, मूलचंद जूनवाल, प्रतीक द्विवेदी, सहायक प्रशासनिक अधिकारी आर.के.तिवारी आदि उपस्थित थे।
पूजन के दौरान सभा मंडप भगवान श्री महाकाल के जयकारों व झांझ मंजिरों की ध्वनि से गुंजित हो उठा व बाबा के जयकारों के साथ सभी गणमान्यो ने पालकी में विराजित श्री चन्द्रमौलीश्वर को नगर भ्रमण की ओर रवाना किया। जैसे ही पालकी मुख्य द्वार पर पहुची होमगार्ड, पुलिस एवं एस.ए.एफ. के जवानों द्वारा भगवान को सलामी दी गई। सवारी में श्री चन्द्रमौलीश्वर पालकी में व श्री मनमहेश हाथी पर सवार होकर अपनी प्रजा का हॉल जानने नगर भ्रमण पर निकले।
भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर की पालकी श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार से बडा गणेश मंदिर के सामने उज्जैन स्थित सप्त् सागरों में से एक रूद्रसागर (रूद्रसागर वही पवित्र सागर हैं जिसमें भगवान श्री महाकालेश्वर ने कपाल (मुंडमाला) प्रक्षालन किया था) ,हरसिद्धि मंदिर के समीप से नृसिंह घाट रोड पर सिद्धआश्रम के सामने से निकल कर क्षिप्रातट रामघाट पहुंची। रामघाट पर मां क्षिप्रा के जल से बाबा श्री चन्द्रमौलीश्वर के अभिषेक-पूजन किया गया। मॉ क्षिप्रा को विष्णुदेहा, ज्वारघ्नी , पापनाशिनी भी कहा जाता है, यह भगवान श्री विष्णु की उंगली से उत्पन्न होने वाली हैं।क्षिप्रा तट पर पूजन के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय आदि उपस्थित थे l अभिषेक पश्चात सवारी रामानुजकोट, हरसिद्धी पाल से हरसिद्धी मंदिर के सामने पहुची। भगवान शिव की प्राण वल्लभा सती की कोहनी गिरने से यह शक्तिपीठ मॉ हरसिद्धी के नाम से विश्वप्रसिद्ध हैं। नगर भ्रमण के दौरान बाबा श्री महाकाल की भव्य आरती मॉ हरसिद्धी प्रतिनिधियों द्वारा की जाती है। यहॉ शक्ति एवं सर्वशक्तिमान के मिलन का विहंगम दृश्यत देखते ही बन रहा था । आरती के पश्चात सवारी बडा गणेश मंदिर के सामने से होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण में वापस आयी। जहॉ सभामण्डप में पुन: पूजन के बाद सवारी का विश्राम हुआ। श्री महाकालेश्वर भगवान की भाद्रपद माह की पहली सवारी 23 अगस्त को निकलेगी।
राजसी ठाट-बाट से सुसज्जित सवारी राज मार्ग विभिन्न रंगबिरंगी पताकाओं, छत्रियों एवं कालिनों से सुशोभित किया गया था। सवारी निकासी के समय के उद्घोषक, तोपची भगवान श्री महाकाल का ध्वज, अश्वारोही दल, विशेष सशस्त्र बल, पुलिस बैण्ड, नगर सेना, महाकाल के पुजारी-पुरोहित, ढोलवादक, झांझवादक, चोपदार, चांदी की झाडुवाहक, अन्य आवश्यक व्यवस्था में लगने वाले अधिकारी-कर्मचारी सीमित संख्या में उपस्थित थें।