जो पिछली सरकारों ने नहीं किया, वो मोदी सरकार के बजट में हुआ

नई दिल्ली, (स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनी दूसरी पारी का पहला बजट शुक्रवार को संसद में पेश किया. सरकार ने पहली बार सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बीएसई की तर्ज पर सोशल स्टॉक एक्सचेंज की बात की है. सामाजिक सरोकारों से उद्यमों को जोड़ने के लिहाज से इसे अर्थशास्त्री बेहद सकारात्मक कदम मानते हैं. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, यूं तो इस बजट में बहुत सी चीजें गुम हैं, कई योजनाओं की पूरी रूपरेखा अभी साफ नहीं की गई है. मगर फिर भी इसमें एक विजन दिखता है, जो आने वाले वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव का संकेत देता है.

संकट से जूझ रहे एविएशन और बाकी सेक्टर्स में एफडीआई का रास्ता खोले जाने से उन्हें संकट से उबारने में मदद मिलेगी. सरकार की ओर से 100 से अधिक श्रम कानूनों की जगह सिर्फ चार तरह के कानून लाने की व्यवस्था को एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि श्रम कानूनों में सुधार की पहल से पता चलता है मोदी सरकार ने उस कमजोर नस को पकड़ लिया है, जिसके चलते चीन से कई समानताएं होने के बावजूद उसके मुकाबले भारत मैन्यूफैक्चरिंग हब नहीं बन पाया. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, पिछली कई सरकारें लेबर कानूनों में सुधार का साहस नहीं जुटा पाईं, मगर मोदी सरकार ने इसे बदलने की पहल की है. यह शुभ संकेत है.

ग्रोथ ओरिएंटेड बजटः प्रो. शर्मा

दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के पूर्व डीन और ग्लोबल रिसर्च फाउंडेशन फॉर कारपोरेट गवर्नेंस के चेयरमैन प्रो. जय प्रकाश शर्मा मोदी सरकार के इस बजट को ‘ग्रोथ ओरिएंटेड’ करार देते हैं.  सरकार ने बजट में वाकई कई अहम, जरूरी और नए कदम उठाए हैं. मसलन, संकट में चल रहे सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्योग (एमएसई) सेक्टर को बचाने के लिए 35 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था कर सरकार ने शुभ संकेत दिए हैं. इसका लाभ जीएसटी में रजिस्टर्ड उद्यमों को मिलेगा. नेशनल और रीजनल स्टॉक एक्सचेंज के साथ अब एक नया सोशल स्टॉक एक्सचेंज शुरू करने की पहल अच्छी है. इससे सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले उद्यम भी स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर्ड हो सकेंगे. उद्यमों को समाज की बेहतरी से जोड़ने के लिए यह बेहतर कदम सरकार ने उठाया है.