पुलिस ने हिंसक प्रदर्शन के बाद कहा कि इस दौरान प्रदर्शनकारी और सुरक्षाकर्मियों में झड़प हो गयी. इस दौरान पथराव किए गए, जिससे कई लोग घायल हो गए. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने हिंसक प्रदर्शन किया. इंफाल से सेनापति जिले की ओर जा रही राज्य परिवहन बस को रोकने का प्रयास किया और कुछ निजी वाहनों में आग लगा दी.
एनएच-2 (इंफाल-दीमापुर राजमार्ग) पर प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर प्रदर्शन किया और राज्य सरकार के वाहनों की आवाजाही को रोकने की कोशिश की. एक मैतेई निकाय द्वारा आयोजित शांति मार्च के खिलाफ यह विरोध प्रदर्शन फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी (एफओसीएस) के तत्वावधान में हुआ. हालांकि, 10 से अधिक चार पहिया वाहनों में चल रहे शांति मार्च को कांगपोकपी जिले के रास्ते में सेकमाई में सुरक्षा बलों ने रोक दिया. पुलिस ने पहले कहा था कि उन्हें मार्च रोकने के लिए कहा गया है, क्योंकि उनके पास अनुमति नहीं थी.
एक पुलिसकर्मी ने ने कहाकि वे लोग केवल आदेशों का पालन कर रहे हैं. उन लोगों को मार्च रोकने के लिए कहा गया था. अगर वे जाना चाहते हैं, तो वे सरकार द्वारा व्यवस्थित राज्य बसों में यात्रा कर सकते थे. हालांकि, विरोध कर रहे FOCS के सदस्यों ने पलटवार करते हुए कहा कि वे केवल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश का पालन कर रहे थे, जिसमें शनिवार से पूरे राज्य में मुक्त आवाजाही की अनुमति दी गई थी.
इस बीच, कुकी-जो गांव के स्वयंसेवकों के समूह की एक अज्ञात स्थान से एक कथित वीडियो जारी किया गया. इस वीडियो में कहा गया कि यह मुक्त आवाजाही के संबंध में भारत सरकार के फैसले के खिलाफ है और एक अलग प्रशासन की मांग करता है. वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि पीटीआई द्वारा नहीं की जा सकी. वीडियो में एक स्वयंसेवक को यह कहते हुए सुना गया कि हमारे क्षेत्रों में प्रवेश करने के किसी भी प्रयास का कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा. अलग प्रशासन से पहले कोई स्वतंत्र आवाजाही नहीं होगी.