भगवान श्री महाकालेश्‍वर के वैभव, एैश्‍वर्य और गरिमा की छटा चारो ओर बिखेरते हुए निकली शाही सवारी का नगर, जय-जयकार से गुंजायमान हो उठी अवंतिका नगरी

उज्जैन 11 सितम्बर |(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) भगवान श्री महाकालेश्वर की भाद्रपद माह की अंतिम और शाही सवारी सोमवार को पूरे ठाट-बांट और शाही रूप में निकाली गई। भगवान श्री महाकालेश्वर की जय-जयकार से पूरी अवंतिका नगरी गुंजायमान हो उठी। चारों ओर भगवान महाकाल की भक्ति में लीन श्रद्धालुओं की आंखें पालकी में प्रजा का हाल जानने निकले श्री महाकालेश्वर की एक झलक पाने के लिए अधीर थी। श्री महाकालेश्वर भगवान की शाही सवारी बड़े धूमधाम व उल्लास के साथ श्री महाकालेश्वर मंदिर से सायं 04 बजे नगर भ्रमण हेतु निकली |
नगर भ्रमण पर निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में कोटितीर्थ कुण्ड के पास स्थित सभामंडप में श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन कर भगवान की आरती की गई। पूजन-अर्चन मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा द्वारा संपन्न् कराया गया। सवारी के निकलने के पूर्व श्री सभामंडप में आयुक्त संभाग उज्जैन डॉ.संजय गोयल, आई. जी. संतोष कुमार सिंह, कलेक्टर एवं अध्यक्ष महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति  कुमार पुरुषोत्तम, पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा आदि ने भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन -अर्चन किया और आरती में सम्मिलित हुए।
आरती उपरांत भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर रजत पालकी विराजमान होकर मंदिर प्रांगण से नगर भ्रमण हेतु प्रस्थान किया। रजत पालकी में विराजित भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर जैसे ही मुख्य् द्वार पर पहुचें, असंख्य श्रद्धालुओं ने भगवान श्री महाकालेश्वर का स्वागत कर वंदन किया। भगवान श्री महाकालेश्वर की शाही सवारी महाकाल मंदिर से जैसे ही मुख्य द्वार पर पहुंची वहां सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी (गार्डऑफ ऑनर) दी गई। भाद्रपद माह की दूसरी और दसवी सवारी शाही सवारी में रजत पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, रथ पर श्री घटाटोप मुखोटा, रथ पर श्री जटाशंकर, रथ पर श्री रुद्रेश्वर स्वरूप, रथ पर श्री चन्द्रशेखर स्वरुप व दसवी सवारी में आज ही श्री महाकालेश्वर भगवान को गुप्त दानदाता द्वारा भेट नवीन रथ पर श्री सप्तधान का मुखारविंद नगर भ्रमण पर अपनी प्रजा का हाल जानने निकले।
सवारी के साथ पर्याप्त संख्या में घुडसवार, नगर सैनिक, विशेष सशस्त्र बल की टुकडियां एवं भजन मंडलियां, बैंड, चल रहे थे। दक्षिण भारत से विशेष रूप में सवारी में सम्मिलित होने आया दल शाही सवारी का आकर्षण केंद्र है । इसके बाद सवारी परंपरात मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी और कहारवाडी से होती हुई रामघाट के लिए प्रस्थान किया। सवारी मार्ग में जगह-जगह जहॉ तक दृष्टी जाये वहा से भगवान श्री महाकालेश्वर की जय-जयकार व फूलों की वर्षा कर श्रद्धालु भगवान की एक झलक पाकर स्वयं धन्य कर रहे थे।