तुम ही नहीं मैं भी तुमसे उतना ही प्रेम करता हूं, इसीलिए नगर भ्रमण पर निकलता हूँ, श्रीराम कथा के शुभारंभ दिवस पर बोले कथा व्यास पं. सुलभ शांतु गुरु महाराज

उज्जैन।(.स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) सामाजिक न्याय परिसर में शाही सवारी के दिन से प्रारंभ हुई नौ दिवसीय श्रीराम कथा में श्रीराम कथा मर्मज्ञ पूज्य सुलभ शांतु गुरु जी महाराज ने कहा कि महाकाल भाग्य को सौ गुना करकर सौभाग्य बना देते हैं। जब अपनी इस अवंतिका नगरी में श्री राम कथा गाने का अवसर देते हैं। भाग्य के माथे पर तिलक होता है महाकाल के आंगन में बैठकर श्री राम जी के गुणों को गाना। उन्होंने कहा कि उज्जैन वासियों को कभी निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि महाकाल ये बताने के लिए ही नगर भ्रमण पर निकलते हैं कि केवल तुम ही नहीं मैं भी तुमसे उतना ही प्रेम करता हूँ। साल भर तो मेरे द्वारे पर आकर मेरा दर्शन करते हो इसलिए में सावन भादव और कार्तिक में स्वयं तुम्हें दर्शन देने आता हूँ तुमसे पूजन कराता हूँ। साथ ही महाराज जी ने सिद्धवट के महत्व को भी बताया कहा कि कुछ ही दिनों में श्राद्ध पक्ष आने वाले हैं श्राद्ध का अर्थ होता है श्रद्धा, श्रद्धा से किया गया कर्म पित्रों के प्रति। महाराज ने युवाओं के लिए कहा कि एडवांस होने का मतलब नऐ को स्वीकार करना है पर पुराने को ठुकराना नहीं है। पुराने का सम्मान करते हुए न्याय को अपनाना एडवांस होना है। नई पीढ़ी को परिवार की परंपरा और संस्कारों का पालन करना चाहिए। श्री बाल हनुमान आयोजन समिति एवं करुणा आश्रय सेवा न्यास के तत्वावधान में श्री हनुमान चालीसा एवं रामायण जी की आरती के साथ सांय 4 बजे से कथा की शुरुआत हुई और 7 बजे विश्राम हुआ। मंगलवार को भी इसी समय में कथा होगी। कथा दौरान भजनों के सुमधुर स्वरों को संगतकारो ने सधी हुई ताल के साथ श्रद्धालुओ तक पहुंचाया। कथा का सीधा प्रसारण आस्था भजन चैनल पर भी किया जा रहा है।

मानस का उद्घाटन स्थल शिव ह््रदय
महाराजश्री ने कहा कि उज्जैन शिव के साथ शक्ति का भी स्थान है यहाँ विश्वास के साथ श्रद्धा का होना अनिवार्य है। प्रथम दिवस कथा दौरान रामकथा का महात्म्य सुनाया और कहा कि राम नाम भक्ति दायक तो है ही साथ ने मुक्तिदायक भी है। इसीलिए अंतिम यात्रा में कहा जाता है राम नाम सत्य है। साथ ही कहा कि यह कथा हमारे महाकाल की रचना है, क्योंकि राम चरित मानस का उद्घाटन स्थल शिव ह््रदय है।