डॉ अवधेशपुरी महाराज ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र,महाकाल मंदिर में दर्शन शुल्क एवं वीआईपी कल्चर पर लगे  रोक 

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में नागरिकों के संवैधानिक मूल अधिकार समानता एवं धार्मिक – स्वतंत्रता के हनन यानी दर्शन शुल्क एवं वीआईपी कल्चर को बन्द करने के लिए स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर डॉ अवधेशपुरी महाराज ने महाकाल मंदिर में दर्शन शुल्क एवं वीआईपी कल्चर पर रोक के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।

क्रांतिकारी संत परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने पत्र में लिखा कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है, जिसे हिन्दूवादी सरकार माना जाता है, किंतु यह घोर आश्चर्य एवं विडंबना ही है कि ऐसी हिन्दूवादी सरकार के कार्यकाल में भी विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के दरबार में नागरिकों के संवैधानिक मूल अधिकारों का हनन किया जा रहा है। दर्शन शुल्क व वीआईपी कल्चर द्वारा गरीब और अमीर के बीच भेदभाव किया जा रहा है। गरीब भक्तों को भगवान से दूर किया जा रहा है।
महाराजश्री के अनुसार अत्यंत प्रासंगिक, आश्चर्यजनक एवं चिन्तनीय विषय है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समता का अधिकार देते हुए कहता है कि राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति के विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा। भारत के संविधान के आधारभूत ढांचे के अंतर्गत आने वाला यह अनुच्छेद नैसर्गिक न्याय और कानून का शासन के सिद्धांत का प्रतिपादन करता है। यह नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा का मौलिक अधिकार है, किंतु इसका उल्लंघन करते हुए जहाँ एक भी मस्जिद, गिरजाघर, चर्च या गुरुद्वारे में न ही वीआईपी कल्चर है और न ही दर्शन के नाम पर शुल्क लिया जाता है किंतु हिंदुओं के मंदिरों का पहले तो सरकारीकरण किया गया है और अब उन्हें व्यावसायिक केंद्र बनाते हुए हिंदू वीआईपी कल्चर विकसित करते हुए श्रद्धालुओं से दर्शन का शुल्क लिया जा रहा है।
अवधेशपुरी महाराज के अनुसार अनुच्छेद 25 सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता धर्म को अवाध रूप से मानने, आचरण करने व प्रचार करने का अधिकार देता है तो फिर शासन एवं प्रशासन वीआईपी कल्चर व दर्शन शुल्क के द्वारा भगवान महाकाल और उनके गरीब भक्तों के बीच में बाधा क्यों बन रहा है? भक्तों को भगवान से दूर क्यों कर रहा है? अनुच्छेद 26 हमें धार्मिक स्वतंत्रता धार्मिक संस्थाओं की स्थापना, संपत्ति का अर्जन, पोषण, स्वामित्व, प्रशासन एवं धार्मिक कार्यों के प्रबंधन का अधिकार देता है तो फिर हिंदू मठ मंदिरों को शासन द्वारा प्रशासित कर हिंदुओं के संवैधानिक मूल अधिकारों के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है? डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि मैं एक संन्यासी होने के नाते अपने संन्यासी धर्म का पालन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह करता हूँ कि जब एक ओर आप एक धार्मिक स्वभाव के अति लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं। व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रहे हैं। गरीबों को बीपीएल कार्ड बनाकर दे रहे हैं। उन्हें 5 किलो राशन देकर उपकृत कर रहे हैं। गरीबों और अमीरों के बीच भेदभाव कर गरीबों को भगवान से दूर कैसे कर सकते हैं? अतः आप गरीब भक्तों को भगवान से दूर न करें। भगवान महाकाल के दरबार में वीआईपी कल्चर के होने से भी गरीब भक्त अपने आपको छोटा एवं अपमानित अनुभव करता है। यह भी बन्द होनी चाहिए। इसे आप एक संत की पीड़ा, कर्तव्य, सुझाव अथवा आग्रह कुछ भी माने किंतु इस पर गंभीरतापूर्वक विचार कर दर्शन के नाम पर शुल्क की व्यवस्था एवं वीआईपी कल्चर को समाप्त करें। महाराजश्री ने कहा कि यह पत्र मैंने सरकार के विरोधी के रूप में नहीं बल्कि एक शुभचिंतक होने के नाते लिखा है क्योंकि इन व्यवस्थाओं को लेकर जनसामान्य में गहरा आक्रोश है, जिसका नुकसान भाजपा को ही आगामी चुनावों में भी हो सकता है। साथ ही आपने उज्जैनवासियों के लिए आधार दिखाकर अलग गेट से एंट्री के निर्णय के लिए महापौर एवं प्रबन्ध समिति का धन्यवाद भी ज्ञापित किया।