राम को पहचानना आसान नहीं हैं: पंडित मुस्तफा आरिफ

मुंंबई। (राजेशसिंह भदौरिया स्वदेशmpन्यूज़) इंटरनेशनल प्रेस कम्युनिटी द्वारा मुंबई प्रेस क्लब में आयोजित धर्म संसद में अपने विचार व्यक्त करते हुए महागीत ईश्वर प्रेरणा के रचियता पंडित मुस्तफा आरिफ ने अपनी ईश स्तुति के माध्यम से ये प्रतिपादित किया कि सर्वे भवंतु सुखिन: और वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा देने वाला भारत और ईश्वर द्वारा अवतरित कुरान एक ही सिक्के के दो पहलू है। सांप्रदायिक समन्वय और भाईचारे के प्रबल आधार हैं। इसे समझने के लिए हमें भगवान और ईश्वर में अंतर को समझना होगा। सारा वैमनस्य विवाद और मतभेद स्वत: समाप्त हो जाएंगे।

पंडित मुस्तफा ने कहा कि देश में राम नाम की लूट चल रहीं है। लूट से राजनीति तो चल सकती है धर्म नहीं। सनातन धर्म निश्चित रूप से प्राचीन है। इसे समझने के लिए राम को समझकर पहचानना होगा। रामचरितमानस के रचियता गोस्वामी तुलसीदास जब अपनी प्रख्यात चौपाई “सियाराम मय सब जग जानी, करऊं प्रणाम जोरी जुग पानी” की रचना कर आश्रम से लोट रहे थे तब एक बालक ने उन्हें कहा कि महात्मा आगे एक बेल सबको घायल कर देता है और आपने तो लाल वस्त्र धारण किए हुए है। तुलसीदास ने अपने दोहे का सत्व प्रकट करते हुए कहा कि हर प्राणी में राम का निवास है, मुझे कुछ नहीं होगा। आगे चलने पर बैल ने उन्हें घायल कर दिया। आग बबूला होकर तुलसीदास आश्रम वापस आ गए। मन मालिन्य महात्मा बहुत दुखी थे, उसी समय हनुमान प्रकट हुए। तुलसीदास ने अपनी व्यथा सुनाई जो उनकी चौपाई के विपरीत थी। हनुमान बोले कि सत्य हैं हर प्राणी में राम का वास है। आपको बाल रूप में प्रकट होकर स्वयं राम ने सचेत कर दिया था। महात्मा आप उन्हें पहचान न पाए। जब तुलसीदास नहीं पहचान पाएं तो आप इन पद लोलुप स्वार्थी नेताओ से क्या अपेक्षा कर सकते हैं।

इस अवसर पर प्रख्यात शायर डॉक्टर सागर त्रिपाठी ने कहा कि कोई भी धर्म हो हर धर्म का रास्ता मानवता है. धर्म के नाम पर किसी भी इंसान को भटकाया नहीं जा सकता है जो लोग ऐसा करते हैं दरअसल वह इंसानियत के रास्ते से भटके हुए होते हैं और उनको धर्म का असली अर्थ ही मालूम नहीं होता।

सूफी शफीउल्ला खान ने कहा कि आज जरूरत है इंसानियत को जिंदा रखने की वह तभी संभव हो सकता है कि जब हम खुद एक सच्चे इंसान बने हर धर्म का सम्मान करें.

इस दौरान हरित जीवन पत्रिका का लोकार्पण भी किया गया. पत्रिका के संपादक नामदार राही ने कहा कि यह पत्रिका इंसानियत के जज्बे को और ज्यादा मजबूत बनाने की दिशा में हमारा एक प्रयास है। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष मधुराज मधु ने की।