पुस्तक आजादी की अनमोल दास्तान का लोकार्पण,हिंदी के विकास के लिए मालवी का संरक्षण जरूरी – डॉ चौरसिया

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) “हिंदी भाषा के विकास के लिए मालवी का संरक्षण जरूरी है। हमेशा से खड़ी बोली के साथ आंचलिक बोलियों और लोक भाषाओं का प्रचलन रहा है। मालवी निमाड़ी बुंदेली बघेली आदि ऐसी ही उप  बोलियां है जो हमारी लोक संस्कृति की संरक्षक और परंपरा के वाहक है।“

उक्त विचार वरिष्ठ साहित्यकार और प्रतिष्ठित मालवी कवि डॉ. शिव चौरसिया ने मध्यप्रदेश लेखक संघ के तत्वावधान में आयोजित वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. देवेंद्र जोशी की पुस्तक आजादी की अनमोल दास्तान के लोकार्पण अवसर पर व्यक्त किए। पुस्तक का प्रकाशन आजादी के अमृतोत्सव वर्ष के उपलक्ष में देश के प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान सदीनामा कोलकाता से हुआ है। पुस्तक लोकार्पण प्रसंग और मालवी चर्चा गोष्ठी कार्यक्रम की सारस्वत अतिथि डॉ उर्मि शर्मा थी तथा अध्यक्षता डॉ. हरिमोहन बुधौलिया ने की।
इस अवसर पर पुस्तक की जानकारी देते हुए बताया गया कि इस पुस्तक में अविभाजित भारत की आजादी की अनमोल दास्तान के दुर्लभ तथ्यों को 35 से अधिक अध्याय में समाहित किया गया है। पुस्तक देश की आजादी की रोमांचक दास्तान के अनेक अनछुए पहलुओं को उजागर करती है। कार्यक्रम की शुरुआत गीतकार कवियित्री सीमा जोशी की स्वरचित सरस्वती वंदना से हुई। अतिथियों का स्वागत माया वदेक, मालवेंद्र वदेका, परीक्षित वदेका आदि ने किया। इस अवसर पर आयोजित साहित्य संगोष्ठी में डॉ पुष्पा चौरसिया ने मानवीय संवेदना से ओतप्रोत रचना का पाठ किया। सीमा जोशी ने सुमधुर मालवी गीत से समा बांधा। माया वदेका ने स्वरचित मालवी संजा गीत सुनाए। सुनीता राठौड़ ने स्त्री विषयक रचना का पाठ किया। सूरज नागर ने मालवी में आध्यात्मिक रचना सुनाई। संगीता नाग ने मालवी में जीवन के दर्शन पर आधारित रचना सुनाकर सभी का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया। डॉ उर्मि शर्मा ने मां पर अपनी सारगर्भित सुनाई।  डॉ. शिव चौरसिया ने इस अवसर पर पति पत्नी की नोक झोंक और असो मालवों हे म्हारो शीर्षक मालव रचना सुनाकर सभी का दिल जीत लिया। डॉ देवेन्द्र जोशी ने कलजुग की रामायण शीर्षक से मालवी रचना सुनाकर खूब दाद बटोरी। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. हरिमोहन बुधौलिया ने पढ़ गई रचनाओं की समीक्षा की। आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर ज्योति बैस श्वेतिमा निगम, जूही, मयूना वदेका सहित बड़ी संख्या में साहित्य अनुरागी एवं गणमान्य जन उपस्थित थे। संचालन सचिव डॉ देवेंद्र जोशी ने किया तथा आभार परीक्षित वदेका ने माना। संयोजन डॉ हरीश कुमार ने किया।