188 करोड़ के बैंक घोटाले की जांच में सीबीआई ने इंदौर में मारे छापे,रुचि ग्लोबल के तीन डायरेक्टरों के घर-दफ्तर पहुंची जांच एजेंसी

इंदौर।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी)  पिछले दिनों बाबा रामदेव के पतंजलि ग्रुप द्वारा खरीदी गई इंदौर की रुचि ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ 188 करोड़ के बैंक घोटाले की जांच करने के लिए सीबीआई ने इंदौर में उसके डायरेक्टरों के घरों सहित तीन शहरों के एक दर्जन स्थानों पर छापे मारे।  रुचि सोया इंडस्ट्रीज ने 8 हजार करोड़ रुपए से अधिक कई बैंकों से लोन लिए। उसी की सहयोगी कम्पनी रुचि ग्लोबल लिमिटेड है, जिसके खिलाफ 188 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी के प्रकरण दर्ज किए गए। जिन बैंकों को चूना लगाया लगाया उनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के साथ आईडीबीआई व अन्य बैंक शामिल रहीं। सीबीआई की टीम ने मुंबई, इंदौर सहित अन्य ठिकानों पर छापे डाले। रुचि ग्लोबल के तीन इंदौरी डायरेक्टर उमेश सहारा, साकेत बड़ोदिया और आशुतोष मिश्रा के घर-दफ्तर पर भी जांच एजेंसी पहुंची।     कुछ सालों पहले जिस रुचि समूह  को बाबा रामदेव की पतंजलि ने खरीदा था उसने कई बैंकों को करोड़ों रुपए की अलग-अलग टोपी पहनाई। उसी की एक सहयोगी कम्पनी रुचि ग्लोबल प्रा.लि. के खिलाफ भी 188 करोड़ 35 लाख रुपए की बैंक धोखाधड़ी के मामले सीबीआई में दर्ज हैं, जिसके चलते कल आधा दर्जन शहरों में सीबीआई की टीम ने छापामारी शुरू की। सीबीआई ने इंदौर, बैंगलुरु, मुंबई सहित आधा दर्जन स्थानों पर कल जो छापामारी की, उसमें इंदौर में रुचि ग्लोबल के डायरेक्टरों उमेश सहारा, साकेत बड़ोदिया और आशुतोष मिश्रा के ठिकाने भी शामिल रहे। बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल, जम्मू-कश्मीर और आईडीबीआई के साथ धोखाधड़ी की गई, जिसके चलते फॉरेंसिक ऑडिट के बाद सीबीआई को प्रकरण सौंपा गया। सूत्रों के मुताबिक इस छापामार कार्रवाई में जांच एजेंसी ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और जानकारियां जुटाई है। बैंकों के अधिकारी की भी इन घोटालों में मिलीभगत रही है। यह भी उल्लेखनीय है कि रुचि सोया पर बैंक और वित्तीय संस्थाओं की 8323 करोड़ की राशि बकाया रही है और 2018 में भी बैंकिंग फ्रॉड की शिकायत दर्ज की गई थी। इसी की सहयोगी कम्पनी रुचि ग्लोबल लिमिटेड रही है। मेटल, दालों से लेकर रियल इस्टेट के कारोबार में भी ये कम्पनियां संलग्न रही है। सूत्रों के मुताबिक कई बैंकों से इन कम्पनियों ने क्रेडिट फेसिलिटी भी हासिल की, जिनमें ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, जिसका पिछले दिनों पंजाब नेशनल बैंक में मर्ज भी हो गया है। इन दोनों बैंकों के अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा, जम्मू एंड कश्मीर, आईडीबीआई व अन्य बैंकें शामिल रही है। बैंकों की बकाया राशि ना चुकाने पर कम्पनियों के खाते एनपीए घोषित किए गए। जो फोरेंसिक ऑडिट हुआ, उससे पता चला कि इन कम्पनियों ने कई तरह की गंभीर वित्तीय अनियमितताएं की हैं और बैंकों से लिए गए लोन, क्रेडिट सुविधा को अन्य कारोबार और निजी उपयोग में भी इस्तेमाल कर लिया गया। कई तरह की बोगस यानी कागजी फर्में बनाकर भी करोड़ों रुपए ट्रांसफर किए गए और यह पैसा स्टॉक एक्सचेंज, रियल इस्टेट से लेकर अन्य कारोबार में भी लगाया गया। इनमें कई कम्पनियों और उनके प्रमोटरों, डायरेक्टरों के नाम-पते भी एक समान मिले हैं। साथ ही कई कम्पनियों में भी फंड बड़े पैमाने पर ट्रांसफर किए गए।