मोदी सरकार का करप्शन पर दूसरा बड़ा वार, फिर 15 अफसरों को किया रिटायर

नई दिल्ली | (स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) नरेंद्र मोदी सरकार 2.0 में सरकारी विभागों की सफाई यानी नाकारा अफसरों को निकालने का सिलसिला लगातार जारी है. मंगलवार, 18 जून को फिर सरकार ने वित्त मंत्रालय के 15 सीनियर अफसरों को जबरन रिटायर करने का निर्णय लिया. इनमें मुख्य आयुक्त, आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी शामिल हैं. इनमें से ज्यादातर के ख‍िलाफ भ्रष्टाचार, घूसखोरी के आरोप हैं. मंगलवार, 18 जून को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और कस्टम (Central Board of Indirect Taxes and Customs) विभाग के जबरन रिटायर किए गए अफसरों का पद और नाम इस प्रकार है- प्रिंसिपल कमिश्नर डॉ. अनूप श्रीवास्तव, कमिश्नर अतुल दीक्ष‍ित, कमिश्नर संसार चंद, कमिश्नर हर्षा, कमिश्नर विनय व्रिज सिंह, अडिशनल कमिश्नर अशोक महिदा, अडिशनल कमिश्नर वीरेंद्र अग्रवाल, डिप्टी कमिश्नर अमरेश जैन, ज्वाइंट कमिश्नर नलिन कुमार, असिस्टेंट कमिश्नर एसएस पाब्ना, असिस्टेंट कमिश्नर एसएस बिष्ट, असिस्टेंट कमिश्नर विनोद सांगा, अडिशनल कमिश्नर  राजू सेकर डिप्टी कमिश्नर अशोक कुमार असवाल और असिस्टेंट कमिश्नर मोहम्मद अल्ताफ.    इसके पहले भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही सख्त फैसला लिया था. पिछले हफ्ते टैक्स विभाग के ही 12 वरिष्ठ अफसरों को जबरन रिटायर (Compulsory Retirement) कर दिया गया था. डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत वित्त मंत्रालय के इन अफसरों को सरकार समय से पहले ही रिटायरमेंट दे रही है. इस तरह अब तक कुल 27 अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया गया है.   पिछले हफ्ते नियम 56 के तहत रिटायर किए गए सभी अधिकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर्स और कमिश्नर जैसे पदों पर तैनात थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक इनमें से कई अफसरों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार, अवैध और बेहिसाब संपत्ति के अलावा यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप थे.

क्या है नियम 56?

दरअसल, रूल 56 का इस्तेमाल ऐसे अधिकारियों पर किया जा सकता है जो 50 से 55 साल की उम्र के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. सरकार के जरिए ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दिया जा सकता है. ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-फॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है. सरकार के जरिए अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने का नियम काफी पहले से ही प्रभावी है.