डॉ अवधेशपुरीजी महाराज ने लिखा संघप्रमुख व प्रधानमंत्री को पत्र,भाजपा जीत के लिए धार्मिक सीटों से सन्तों की भागीदारी करें सुनिश्चित

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) वर्तमान परिस्थितियों में रामराष्ट्र में रामराज्य की परिकल्पना करने वाली भाजपा द्वारा राष्ट्र व धर्म रक्षा के लिए राजनीति में शिक्षित एवं सक्रिय संतों की भागीदारी सुनिश्चित करने को लेकर क्रांतिकारी संत डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सरसंघचालक मोहन भागवत एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है।

अवधेशपुरी महाराज ने पत्र में लिखा कि वर्तमान परिस्थितियों में आज धर्म देश की राजनीति के केन्द्र में है। एक ओर जहाँ सनातन धर्म विरोधी पार्टियाँ सनातन धर्म एवं संस्कृति को समूल नष्ट करने की भीष्म प्रतिज्ञा कर रही हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा इस रामराष्ट्र में रामराज्य की परिकल्पना कर सनातन धर्म का समर्थन कर रही है। इतना ही नहीं देश में हिन्दुत्व को विद्वान सन्त महापुरुषों, आरएसएस व विहिप का संरक्षण प्राप्त है व प्रखरता के साथ हिन्दू राष्ट्र की माँग भी उठ रही है।
अवधेशपुरी महाराज ने पत्र में सनातन धर्म के सर्वाधिक प्रमाणित ग्रन्थ एवं आदि काव्य श्री वाल्मीकि रामायण के प्रकाश में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के एक आदर्श उपदेश की ओर ध्यान आकर्षित कराया जिसमें बाली वध के उपरान्त जब सुग्रीव राज्य न लेकर अत्यन्त दुखी मन से राज्य से सन्यास लेने का मन बनाता है। उस समय भगवान श्री राम सुग्रीव को समझाते हुए कहते हैं कि ’सुग्रीव एक सन्यासी से अच्छा राजा और कौन हो सकता है? क्योंकि एक सन्यासी की भाँति जिसका न कोई अपना होगा और ना पराया होगा वही लोभ, मोह एवं ममता को त्यागकर इस प्रजा से एक जैसा व्यवहार कर सच्चे अर्थों में समाज की सेवा कर सकता है।’
अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि हमें उस रामराष्ट्र के मङ्गल के लिए रामायण की इन शिक्षाओं पर गम्भीरतापूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। यह एक अद्भुत संयोग व इस राष्ट्र का सौभाग्य ही है कि बहुत लंबे समय बाद इस देश को एक ऐसा ही आदर्श राजा मोदीजी के रूप में मिला है तथा योगी आदित्यनाथ जी जैसा एक सन्त विश्वपटल पर एक आदर्श शासक का उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।
महाराजश्री ने कहा कि मनुस्मृति व महाभारत के अनुसार राजनीति को ही राजधर्मं, क्षात्रधर्म, दण्डनीति व अर्थनीति कहा गया है। यानि धर्म का अतिक्रमण करके राजनीति हो ही नहीं सकती, क्योंकि किसी भी वस्तु या व्यक्ति की सत्ता जिस पर निर्भर है, उसका नाम ही धर्म है। ऐसे में महाराजश्री ने सरसंघचालक मोहन भागवत से अनुरोध किया कि भाजपा राष्ट्र व धर्म विरोधी ताकतों को पराजित कर अपनी जीत सुनिश्चित कर सके इसके लिए आवश्यक है कि आर एस एस, विश्व हिन्दू परिषद व भाजपा का समर्थन करने वाले योग्य, अनुभवी व सक्रिय सन्तों को कम से कम 5 प्रतिशत धार्मिक सीटों से चुनाव मैदान में उतारा जाय। इससे न केवल जीत सुनिश्चित होगी बल्कि भाजपा की धार्मिक छवि और मजबूत होगी तथा राजनीति राजधर्म बनेगी।