शरणागति केवल वही हो जो मन वचन कर्म से साधू हो – सुलभ शान्तु गुरु

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) जब हनुमानजी को सुग्रीव ने राम लक्ष्मण को पहचान करने भेजा तो हनुमान जी ने केवल मस्तक झुका कर प्रणाम किया क्यों अभी जानते नही है प्रणाम से सम्मान किया पर जब निर्णय हो गया कि ये हमारे प्रभु है तब हनुमान जी चरणों मे गिर कर प्रणाम किये। ठीक इस प्रकार जब तक हम किसी को पहचान न ले जान ले तब तक शरणागति स्वीकार न करें। जहॉं तहॉं शरणागत न हो जब ये पता चल जाए ये मन कर्म वचन से साधू है और इसका भगवत चरणों में हि अनुराग तभी शरण स्वीकार किजिऐ क्योकि साधू वही है जिसका मन कर्म वचन एक होना चाहिऐ और भगवान मे उसका अटूट प्रेम हो।
उक्त बात श्री महारत्नेश्वर महादेव मंदिर समिति द्वारा नवनिर्मित मंदिर में श्री महारत्नेश्वर महादेव एवं शिव परिवार की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत आयोजित श्रीराम कथा में हनुमान चरित्र सुनाते हुए पं. सुलभ शांतु गुरू ने कही। मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेश जायसवाल ने बताया कि यज्ञाचार्य आचार्य पं. प्रशांत अग्निहोत्री ब्रह्माचारीजी श्रीश्री विद्याधाम इंदौर के सानिध्य में पंच कुंडीय रूद्र महायज्ञ की पूर्णाहुति सोमवार को हुई। साथ ही मंडल पूजन, महाभिषेक के साथ अभिजीत मुहूर्त में प्राणप्रतिष्ठा दोपहर 12 बजकर 11 मिनिट पर हुई। इस दौरान बंटी अग्रवाल, राजेश लूनिया, बिल्लू शर्मा, मनीष भावसार, पवन विश्वकर्मा, राजेन्द्रसिंह मंडोर, शैलेन्द्र शर्मा, वैभव खंडेलवाल, तोलाराम रायकवार, सदाशिव रावल आदि मौजूद रहे।