देश के मंदिरों मठों के पुजारियों व संतों का अपमान शोषण रोका जाये, इस आशय का प्रधानमंत्री को पत्र

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी)   स्वतंत्र भारत में हिंदू सनातन धर्म के मंदिरों व मठों का सरकारी करण होने के पश्चात मंदिर प्रबंध समितियों द्वारा एवं अफसरशाही नीति के कारण पुजारियों व मठों के गादीपति संतों का निरंतर अपमान, प्रताड़ित व स्वाभिमान को चोट पहुंचाई जा रही है। आजादी से पहले सनातन धर्म के मठ मंदिर की पूजा-सेवा, रखरखाव एवं पुजारियों संतों का भरण पोषण हेतु राजा महाराजाओं द्वारा भूमि दान एवं आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाता था जिससे सुचारू रूप से व्यवस्था व परंपरा स्थापित रहे।

सरकारी करण का दौर हिंदू सनातन धर्म को मानने वाली सरकार से ही आरंभ हुआ, इसी सरकार द्वारा संतो- पुजारियों के स्वाभिमान पर आघात शोषण दोहन व प्रताड़ित करने के साथ वंश परंपरा पर चोट की जाने लगी, हिंदुओं का दुर्भाग्य है कि मंदिरों की परंपराओं पर भी सरकारी अफसरशाही हावी होने लगी और पूजा पद्धति और परंपराओं में बदलाव किया जाने लगा।
इस आशय का एक पत्र अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी द्वारा भारत के प्रधानमंत्री को भेजा गया है, पत्र में उल्लेख किया है कि अधिकांश पुजारी वर्ग वर्तमान सरकार से जुड़ा हुआ है लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि जिस पार्टी व सरकार से पुजारी व संत वर्ग दूर रहा है, उस पार्टी व सरकार ने कभी भी मंदिरों-मठों की परंपरा एवं पुजारियों संतो की वंश परंपरा में कभी भी हस्तक्षेप नहीं किया है।
मंदिर सार्वजनिक है लेकिन सरकारी करण के कारण पूर्व व वर्तमान मंत्री गण, आईएएस, आईपीएस अफसरों को प्रोटोकॉल सुविधा देकर सम्मान पूर्वक दर्शन कराए जाते हैं इसके विपरीत पुजारियों व संतो को सुलभ व्यवस्था नहीं देकर प्रबंध समितियों द्वारा उनका अपमान किया जाता है। जबकि सरकारीकरण, आम भक्तों को सुविधापूर्ण दर्शन व्यवस्था के नाम से गया था,लेकिन आम भक्त आज भी सुलभ दर्शन दे वंचित है।
जिस प्रकार उत्तराखंड में मंदिरों का सरकारी करण मुक्त कर दिया गया है उसी प्रकार से देश के मठों व मंदिरों का सरकारी करण मुक्त किया जावे व इनके संचालन की व्यवस्था पुजारी संतो को सौंपी जावे। अखिल भारतीय पुजारी महासंघ को यह भी शंका है कि कुछ संगठन विकास और हिंदुत्व की आड़ लेकर मठ मंदिरों पर षडयंत्र पूर्वक तरीके से कब्जा करना चाहते हैं यदि ऐसा होता है तो सरकारी करण से ज्यादा पुजारी संतों पर दबाव,दोहन, अपमान और प्रताड़ित किया जावेगा।
प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि जिस प्रकार आप ने धारा 370 समाप्त कर कश्मीरी पंडितों और कृषि कानून वापस लेकर किसानों को स्वतंत्रता दी है, उसी प्रकार देश में मंदिरों को सरकारी करण से मुक्त कर पुजारियों संतो को सौंप कर उन्हें उनका स्वाभिमान और स्वतंत्रता वापस करेंगे, ऐसा पूर्ण विश्वास है।

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