3061 हेक्टेयर सिंहस्थ के लिए अधिसूचित भूमि में से एक इंच जमीन भी आवासीय नही होगी,शहर विकास में राजनीति बन रही बाधक

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी)  मास्टर प्लान 2035 के लिए टीएंडसीपी में जबसे दावे आपत्तियों का सिलसिला शुरू हुआ तबसे ही शहर की राजनीति में भूचाल आ गया है, जबकि यक़ीक़त यह है कि सांवराखेड़ी व जीवनखेड़ी की जमीन कभी सिंहस्थ में अधिसूचित थी ही नहीं । गौर करने वाला विषय यह है कि जब उक्त जमीन सिंहस्थ अधिसूचित नहीं थी फिर इस जमीन हो लेकर इतना विवाद क्यो हो रहा है ? अगर उक्त जमीन आवासीय हो जाती है तो इससे शहर के मध्य में इंफ्रास्ट्रक्चर बढेगा व शहर का विकास होगा बड़ी कॉलोनियों, बाज़ार विकसित होंगे जिससे शहर में विकास की संभावनाएं बढ़ेगी ।
मास्टर प्लान को लेकर शहर की जनता में कथित लोगों द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है कि सिंहस्थ अधिसूचित भूमि को आवासीय या मिश्रित किया जा रहा है जो कि पूर्णतः निराधार है, जबकि हकीकत यह है कि उक्त जमीन कभी सिंहस्थ अधिसूचित थी ही नहीं, हाँ यह अवश्य है कि इस भूमि का उपयोग सिंहस्थ में पार्किंग व अन्य कार्यो के लिए अवश्य किया गया पर गौर करने वाली बात यह है कि इसके पूर्व में जितने भी सिंहस्थ हुए है उनमें 1992, 2004, 2016 में जितने भी सेटेलाइट टाउन बनाए गए थे उदाहरण स्वरूप क्रमशः सेठी नगर में, पंवासा में सभी अस्थाई बनाए गए थे । इसी प्रकार उक्त दोनों जमीनों पर बने सैटेलाइट टाउन व पार्किंग सभी अस्थाई बनाए गए थे पर इस तथ्य को लेकर भी शहर में कई स्वार्थी लोगो द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है ।
शहर में सिंहस्थ की कुल अधिसूचित भूमि 3061 हैक्टेयर है, इसमें से अधिकांश भूमि हर सिंहस्थ के उपयोग में नही आती,पिछले सिंहस्थ में भी भूखी माता क्षेत्र के कई पांडाल खाली पड़े थे । प्रति 12 वर्षो में होने वाले सिहंस्थ में शहर के चारो कोनो पर चार अस्थाई सेटेलाइट टाउन बनाए जाते है, फिर इसे में एक सैटेलाइट टाउन को लेकर इतना शोर क्यो? हक़ीक़त यह है कि मास्टर प्लान में सिहंस्थ अधिसूचित किसी भी सर्वे नंबर को आवासीय नहीं किया जा रहा । कुछ कतिपय नेताओ द्वारा जीवनखेड़ी व सांवराखेड़ी बेल्ट की जमीन को लेकर शहर की जनता में भ्रम फैलाने के लिए सिंहस्थ के बताया जा रहा है, जो कि पूर्णतः निराधार, तथ्यहीन व गलत है । इस पूरे मामले में आज बुधवार को उक्त जमीनों के किसानों ने भी ऐसे नेताओं के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है जो उक्त जमीन को सिंहस्थ का बताकर भ्रम फैला रहे है । किसानों ने ऐसे कथित नेताओ के विरोध में पुतला दहन व चुनाव के बहिष्कार करने तक ऐलान भी कर दिया है ।
 वही डॉ मोहन यादव ने बताया कि 3061 हेक्टेयर सिंहस्थ के लिए अधिसूचित भूमि में से एक इंच जमीन भी आवासीय नही होगी।
वरिष्ठ आर्किटेक्ट R.G. पाठक ने बताया कि शहर के विकास के द्वार बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलोपमेन्ट से ही खुलते है । इससे ही रोजगार व विकास होता है । मास्टर प्लान में अगर भूमि आवासीय होती है तो वह शहर हित में है । जनसंख्या बढ़ रही है तो शहर का दायरा भी बढ़ना चाहिए क्योकि बेड़ियों में जकड़कर नही रख सकते शहर को, रही बात सिंहस्थ के मूल स्वरूप की उससे छेड़छाड़ नही की जा रही है |
प्रतीकात्मक चित्र –