क्षिप्रा किनारों पर भूमाफियाओं ने काट दी कॉलोनियां

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) आध्यात्मिक राजधानी बाबा महाकाल की नगरी में पौराणिक नदी मोक्षदायिनी मां क्षिप्रा का अस्तित्व खतरे में है। त्रिवेणी से लेकर मंगलनाथ मंदिर के मध्य क्षिप्रा के दोनों किनारों पर भूमाफियाओं द्वारा अपने काले धन का उपयोग करते हुए सैकड़ों कॉलोनियां विकसित कर दी है जिनका सारा ड्रनेज वाटर मां क्षिप्रा की पवित्रता को नष्ट कर रहा है। कॉलोनियों के पास ड्रेनेज वाटर के लिए फिल्टर प्लांट की कोई व्यवस्था नहीं है।
उक्त बात क्षिप्रा के अस्तित्व को लेकर संत परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज द्वारा मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे पत्र में लिखी। पत्र में डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने लिखा कि शासन प्रशासन की मिलीभगत से नदी संरक्षण नियमों को ठेंगा दिखाते हुए नदी के दोनों किनारों पर जहां 200 मीटर तक ग्रीन बेल्ट होनी चाहिये वहां बड़े-बड़े होटल एवं पक्के मकानों का निर्माण कर दिया गया है। सोचनीय विषय है कि जब नदी ही नहीं बचेगी तो हम जल भी किसमें छोड़ेंगे तथा भविष्य में सनातन संस्कृति का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला सिंहस्थ कैसे संपन्न होगा। क्षिप्रा जीवन रेखा है, सिंहस्थ की शान तथा उज्जैन की पहचान है। इसलिए विश्वस्तर पर सिंहस्थ जैसे महापर्व को गौरव प्रदान करने वाली मां क्षिप्रा का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।
क्षिप्रा बचाने के लिए यह मांग
पत्र लिखकर संत अवधेशपुरी महाराज ने मुख्यमंत्री से मांग की कि क्षिप्रा किनारे बसी कॉलोनियों की वैधानिकता की जांच हो, जांच के लिए कोर कमेटी का गठन हो, नदी संरक्षण अधिनियम का अनुपालन करते हुए नदी किनारे दोनों तरफ 200 मीटर तक पेड़ लगाकर डबरी (छोटे तालाब) निर्माण कराएं, त्रिवेणी से मंगलनाथ के मध्य क्षिप्रा के अंदर जगह-जगह बोरिंग कराएं, कान्हा नदी व कॉलोनियों के सीवरेज व गंदे नालों को क्षिप्रा में मिलने से रोकें।