गजकेसरी लक्ष्मी योग पर बुध की होरा में होगा बप्पा का प्राकटय,गणेश चतुर्थी बुधवार को होने से भारत की उन्नति का अवसर 

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) इस बार गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष में चित्रा नक्षत्र के शुभ योग में रवि योग, ब्रह्म योग (गज केसरी) लक्ष्मी योग के साथ बुध की होरा मध्याह्न मे बप्पा का प्राकट्य उत्सव होगा। इस विशेष योग में व्यापारी को धन वृध्दि का लाभ मिलता है।
श्री मांतगी ज्योतिष ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास  के अनुसार मध्यान्ह का योग और गौरी शंकर के पुत्र विघ्नहर्ता गणेश जन्म का माना जाता है, 27 अगस्त चतुर्थी तिथि बुधवार का दिन जो स्वयं गणेश जी का दिन है। इस दिन घर अंगना मन के मंडपम मे मंगलमूर्ति गणपति बप्पा का मध्याह्न में श्रेष्ठ मुहूर्त 12/36 से 01.00 के 24 मिनिट में होगा युवराज का प्राकट्य। पुजा प्रारंभ का शुभ मुहूर्त सुबह 11ः04 बजे से दोपहर 1ः00 बजे तक रहेगा।
ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर जब कोई शुभ योग बनता है, तो उसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। ऐसे योगों में भगवान गणेश की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है। रवि योग में की गई पूजा और आराधना बहुत फलदायक मानी जाती है। यह योग सभी दोषों का नाश करता है। गणेश पूजन से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। अमृत सिद्धि योग अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में गणेश जी की पूजा करने से सुख-समृद्धि और धन-धान्य में वृद्धि होती है। ब्रह्म योग आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ होता है। गणेश जी की आराधना से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
ज्योतिर्विद पं. अजय व्यास ने बताया कि पूजन के समय इस विशेष मंत्र “वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥“, का जाप करें। बुद्धि और ज्ञान के साथ, ग्रह शांति के नियंत्रक है श्री गणेश। ज्योतिष शास्त्र में गणपति (गणेश जी) का विशेष स्थान माना गया है। वे केवल विघ्नहर्ता ही नहीं, बल्कि ग्रह-शांति, ग्रह नियंत्रक बुद्धि और सफलता के अधिष्ठाता भी हैं। देश विदेश मे भारतीय व्यापार व्यवसाय इंडस्ट्रीज फ़र्नीचर तकनिकी इलेक्ट्रॉनिक्स सुरक्षा अन्य घरेलू सजावट, बाजार, मोबाइल फोन, एआई साझीदार से जैसे उपलब्धता सुनिश्चित बडती है योग प्राणायाम खेल ओर कला जगत युवाओ का सम्मान रुझान बडता है उज्जैन मे भी बुध के राजा होने से मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व अप्रत्याशित विकास होगा।
गणेश जी की सूंड का महत्व
पं. अजय व्यास के अनुसार बुद्धि और विवेक का प्रतीक गणेशजी की सूंड बड़ी, लचीली और शक्तिशाली होती है। यह इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति को बुद्धिमान, चतुर और विवेकशील होना चाहिए। सूंड की मदद से हाथी नाजुक वस्तुओं को भी उठा सकता है और भारी वस्तुओं को भी हिला सकता है। इसी तरह, मनुष्य को भी परिस्थितियों के अनुसार कोमलता और कठोरता का प्रयोग करना चाहिए। हाथी की सूंड में असीम शक्ति होती है, लेकिन वह उसे पूर्ण नियंत्रण के साथ उपयोग करता है। यह सिखाता है कि हमें अपनी शक्ति और क्षमताओं का प्रयोग संयम के साथ करना चाहिए।
सूक्ष्म और स्थूल को ग्रहण करने की क्षमता
गणेश जी की सूंड का आकार यह दर्शाता है कि वे सूक्ष्म (छोटी) से लेकर स्थूल (बड़ी) बातों को समझ सकते हैं।
यह गुण किसी भी नेता, अधिकारी या बुद्धिमान व्यक्ति के लिए आवश्यक है।
अलग-अलग दिशाओं में सूंड का झुकाव
गणेशजी की प्रतिमाओं में सूंड का झुकाव बाएं या दाएं हो सकता है, और इसका भी विशेष महत्व होता है। बाईं ओर झुकी सूंड (वाममुखी गणेश) सबसे सामान्य और पूजनीय रूप है। शांति, सौम्यता और गृहस्थ जीवन का प्रतीक है। दैनिक पूजा के लिए यह रूप श्रेष्ठ माना जाता है। वहीं दाईं ओर झुकी सूंड (दक्षिणमुखी गणेश), इसे “सिद्धि विनायक“ भी कहते हैं। यह रूप तप, शक्ति और नियमबद्ध पूजा का प्रतीक है। इसकी पूजा विशेष नियमों से ही की जाती है, वरना उल्टा फल मिल सकता है। इसी प्रकार सीधी सूंड (मध्य में) यह अत्यंत दुर्लभ रूप होता है। यह रूप योग, समाधि और आत्मिक उन्नति का प्रतीक है। गणेश जी की सूंड को यदि ध्यान से देखा जाए, तो वह “ॐ“ के आकार जैसी दिखती है। “ॐ“ ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है और गणेश जी विघ्नहर्ता के रूप में इस ऊर्जा के प्रतीक हैं।
जीवन के लिए संदेश
गणेशजी का बड़ा पेट हमें सिखाता है कि हमें जीवन के हर अनुभव को शांति और धैर्य से स्वीकार करना चाहिए।
हर बात को तुरंत प्रतिक्रिया देना जरूरी नहीं, उसे “पचाना“ जरूरी है। प्रसन्नता भीतर से आती है, संतोष सबसे बड़ा धन है। बड़े कान से हमें सीख मिलती है, ध्यान से सुनना, दूसरों को बोलने दें, बीच में न काटें। सार ग्रहण करना हर बात से कुछ सीखने की कोशिश करें, बुरी बातों को त्यागना नकारात्मकता से दूर रहें, ज्ञान की तलाश हर दिन कुछ नया सीखने का प्रयास करें।
नेत्रों से मिलने वाली जीवन-शिक्षाएं
गणेश जी के नेत्रों की विशेषता हमारे जीवन के लिए संदेश देते हैं कि सूक्ष्म और गहरी दृष्टि हर स्थिति का गहराई से विश्लेषण करें। एकाग्रता और ध्यान, काम में मन लगाएं, भटकाव से बचें। करुणा और सहानुभूति दूसरों के दृष्टिकोण को समझें। आत्मिक (तीसरी) दृष्टि आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाएं। आंतरिक सच्चाई को देखना बाहरी दिखावे से भ्रमित न हों।
टूटा हुआ दांत, परिस्थितियों से हार न मानो, खुद को तोड़कर भी कार्य सिद्ध करना, अपने लक्ष्य के लिए त्याग करो। एकता और ध्यान विचलित हुए बिना एक लक्ष्य पर टिके रहो, पूर्णता का मोह नहीं अधूरे होकर भी महान कार्य संभव हैं।
गणपति पूजन में अक्सर कहा जाता है ‘“शुभं करोति कल्याणं“, गणेश परिवार से जीवन की शिक्षा -गणेश जी माँ-पिता के पास बैठे होते हैं। शिव जी शक्ति और वैराग्य का संतुलन, पार्वती जी करुणा, प्रेम और मातृत्व मूषक चरणों के पास होता है। कार्तिकेय अलग दिशा में खड़े होते हैं, अक्सर मोर वाहन के साथ। कार्तिकेय वीरता, साहस और कर्तव्य,
गणेश जी के पुत्र
सिद्धि-बुद्धि-सफलता और विवेक का संयोजन। शुभ, शुभ कार्यों और पवित्रता का प्रतीक के है। लाभ फल और सफलता का प्रतीक है। शुभ लाभ अच्छे कर्म और उनके सकारात्मक परिणाम यह सब मिलकर एक आदर्श संतुलित और पूर्ण परिवार को दर्शाता है।
सर्व राशियों के लिए दुर्वा और मोदक का अर्पण श्रेष्ठ माना गया है।
बुधवार और चतुर्थी को यह आराधना विशेष फलदायी रहती है।
गणेश उत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि सामाजिक व सांस्कृतिक एकता का पर्व भी है।
गणेश स्थापना पर खेल समारोह न केवल आनंद और उत्साह देता है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक संतुलन और सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है।