परशुराम शस्त्र के तो शंकराचार्य शास्त्र के ज्ञाता थे- पं. शास्त्री

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) भगवान परशुराम शास्त्र के ज्ञाता थे और उन्होंने अपने शस्त्र विद्या से आसुरी शक्ति का पृथ्वी से 21 बार संहार कर धर्म की स्थापना की। वहीं दूसरी ओर आद्य जगत गुरु शंकराचार्य जी महाराज ने शास्त्र के ज्ञान से बौद्धों अन्य धर्मावलम्बियों की व्याख्या कर शास्त्र के माध्यम से उन्हें परास्त कर धर्म की स्थापना की और चारों दिशाओं में चार पीठ स्थापित कर संस्कृति का विस्तार किया और धर्म की रक्षा की।
उक्त उद्गार अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज द्वारा आयोजित आद्य जगतगुरु शंकराचार्य जयंती एवं परशुराम जयंती महोत्सव में आयोजित तीन दिवसीय समारोह के समापन अवसर पर उपस्थित ब्राह्मणों संतों एवं विद्वानों के समक्ष संत श्री भागवताचार्य पंडित हरि नारायण शास्त्री ने व्यक्त किए। गोष्ठी को राम चरित्र मानस के मर्मज्ञ कथावाचक संत पं.सुलभ शांतु गुरु महाराज ने भी अपने विचारों से अवगत कराया। इस अवसर पर सात्विक आनंद महाकाल गिरी महाराज तथा अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के पूर्व अध्यक्ष पं. जियालालजी शर्मा, अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष पं. सुरेंद्र चतुर्वेदी तथा गोपाल धाम के संस्थापक तथा किंकर नामानंदजी महाराज ने भी संबोधित किया। ब्राह्मण समाज द्वारा संत श्री हरिनारायण शास्त्री, पंडित सुलभ शांतू गुरु, महाकाल गिरी तथा किंकर नामानंद जी महाराज का शंकराचार्य की संत परंपरा में शाल श्रीफल से सम्मान किया। वहीं वैदिक ब्राह्मण एवं कर्मकांड परंपरा में उज्जैन के विद्वान पं. भरत पंड्या, राम शुक्ल एवं जानकीलाल पाठक उत्तरामुखी का सम्मान किया गया। स्वागत भाषण महिला सभा की संभागीय अध्यक्ष डॉ. प्रेरणा मनाना ने दिया। कार्यक्रम का संचालन ब्राह्मण समाज के सचिव प्रदीप तिवारी ने किया तथा आभार मार्गदर्शक मंडल के सचिव तरुण उपाध्याय ने माना। इस अवसर पर आगंतुक अतिथियों का स्वागत अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज कि प्रदेश महिला इकाई अध्यक्ष निशा त्रिपाठी, पं. देवेंद्र दुबे, लता शर्मा, वंदना शर्मा, सावित्री महन्त, उमेश शंकर गाये, सुनील व्यास रेडियो, सुकीर्ति व्यास, मनोहर दुबे, रत्ना शर्मा, पं. देवेंद्र पुरोहित, अजयशंकर जोशी, मधुसूदन जोशी आदि ब्राम्हण समाज के पदाधिकारियों ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत सम्मान कर शंकराचार्य जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।