‘दिमाग का दही’ का विमोचन, व्यंग्य भूत भविष्य के लिए नहीं वर्तमान के लिए लिखा जाता है

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) तमाम अच्छे लेखक, जीवन में ईमानदार नहीं होते तो तमाम ईमानदार व्यक्ति अच्छे लेखक नहीं होते मगर व्यंग्यकार मुकेश जोशी, अच्छे लेखक भी हैं और ईमानदार भी और उनकी ईमानदारी उनके लेखन में भी झलकती है। मुकेश जी न टायर्ड हैं और न रिटायर्ड हुए हैं।

ये विचार व्यंग्यकार मुकेश जोशी के व्यंग्य संग्रह दिमाग का दही के विमोचन प्रसंग में प्रख्यात व्यंग्यकार, सम्पादक यशवंत व्यास ने मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। सारस्वत अतिथि विजयकुमार मानव ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद मुकेशजी के लिए आगे के लिए खुला आकाश है। व्यंग्य भूतकाल या भविष्य के लिए नहीं बल्कि वर्तमान के लिए लिखा जाता है। व्यंग्य विधा, दमनकारी सत्ता के समय सो जाती है। फुटकर वाला व्यंग्य खो जाता है। मुकेश अपनी भाषा खुद गढ़ते हैं। सज्जन होना व्यंग्य के लिए बहुत जरूरी है।

विशेष अतिथि राजशेखर व्यास ने कहा कि उज्जैन मंगल ग्रह की ही नहीं, व्यंग्य की भी जन्मभूमि है। सहज सरल शैली में लिखने वाले मुकेश जी उच्च कोटि के व्यंग्यकार हैं। व्यंग्य में गिरोह चलाने वालों से बचना चाहिए। निराला सृजन पीठ भोपाल की निदेशक डॉ साधना बलवटे ने कहा कि मुकेशजी का व्यक्तित्व ऐसा है कि वो सबको अपना बना लेते हैं। व्यंग्य को लेकर उनकी समझ बेबाक है। मुकेश जी की रचनाएं बोलती हैं और उनकी रचनाएं सुनना पड़ती हैं। उनके व्यंग्य में आंचलिक भाषा से व्यंग्य और प्रवाहमान बन जाता है। विशिष्ट अतिथि आचार्य शैलेन्द्र पाराशर ने कहा कि मुकेश ने अपने सभी दायित्वों का बखूबी निर्वाह किया है और आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं। शुरुआत में मुकेशजी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर बेहद दिलचस्प रेखांकन व्यंग्यकार शशांक दुबे ने प्रस्तुत किया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ पिलकेन्द्र अरोरा ने कहा कि लेखक कभी सेवानिवृत्त नहीं होता बल्कि उसका लेखन और व्यापक हो जाता है। मुकेशजी का यह व्यंग्य संग्रह उनकी अद्भुत व्यंग्य प्रतिभा, प्रभावी भाषा का परिचय देता है और समकालीन व्यंग्यकारों में उन्हें एक विशिष्ट स्थान प्रदान करता है। पुस्तक ‘दिमाग का दही ‘पर चर्चा करते हुए डॉ हरीशकुमार सिंह ने कहा कि मुकेशजी के पास अनुभव की रचनात्मकता है, उद्देश्य की स्पष्टता, गंभीर मानसिकता और सम्प्रेषण की कला है इसलिए व्यंग्यकार मुकेशजी के व्यंग्यों में मूल्यबोध विद्यमान है और उन्होंने खुद विषपायी बनकर सामाजिक विकृतियों के विष को पिया है और उसे सुधाधर्मी बनाकर इस संकलन के रूप में समाज को सौंपा है।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में संयुक्त आयुक्त सहकारिता एम.के. दीक्षित, उपायुक्त के पाटनकर एवं ओ पी गुप्ता भी मौजूद रहे। स्वागत भाषण और अतिथि परिचय डॉ संदीप नाडकर्णी ने दिया। अतिथि स्वागत पं. हेमेंद्र द्विवेदी, शैलेन्द्र व्यास स्वामी मुस्कुराके, सुरेन्द्र सर्किट, सुगनचंद जैन, दिनेश विजयवर्गीय, योगेश जोशी, चंद्रशेखर जोशी, पं. रामेश्वर जोशी, कुनाल जोशी, उदित जोशी, विशेष जोशी आदि ने किया। प्रारंभ में स्वस्ति वाचन पं लोकेन्द्र शास्त्री ने किया कार्यक्रम का हास्य व्यंग्य से भरा संचालन ख्यात कवि अशोक भाटी ने किया तथा आभार योगाचार्य संयोगिता जोशी ने माना। इस आत्मीय विमोचन प्रसंग में नगर की साहित्यिक साँस्कृतिक चेतना से जुड़े कई गणमान्यजन अपर आयुक्त प्रतीक सोनवलकर, महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के प्रमुख राजेन्द्र शर्मा गुरु, सुरेश मोढ, डॉ रवि सोलंकी, राजेश कुशवाह, महासचिव अभा ब्राह्मण समाज तरुण उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार सुनील जैन, डॉ विवेक चौरसिया, अनूप शाह, वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ सुभाष मंडलोई, डॉ अरुण वर्मा, प्रो. प्रेमचंद द्वितीय, वरुण गुप्ता, पंकज चांदोरकर, डॉ राजेश पंड्या, डॉ राजेन्द्र भूतडा, के के ठक्कर, अनिल वैश्नव, प्रवीण देवलेकर, भूषण खुल्लर, वरिष्ठ व्यंग्यकार रमेशचंद्र शर्मा, शांतिलाल जैन, रमेश कर्नावट, राजेन्द्र नागर,  राजेन्द्र देवधरे, कवि डॉ प्रेम पथीक, डॉ राजेश रावल, डॉ मोहन बैरागी, पं दिनेश रावल, लोकेन्द्र शास्त्री, पं. विनोद रावल, पं. कुशल भट्ट, पं. प्रबोध पंड्या, पं सुनील पंड्या, पं प्रवीण पंड्या, पं. नरेंद्र कुमार व्यास, उद्योगपति श्यामसुन्दर गुप्ता, संजय ज्ञानी, शरद कलवाडिया, सुनील कुमरावत, सहकारी नेता योगेन्द्रसिंह कोकलाखेड़ी, जगदीश शर्मा, धीरज गोभुज, सुरेश शर्मा, नरेंद्र मालवीय, सुमित व्यास, प्रदीप सोलेगांवकर, उपेन्द्र गुप्ता, हरिओम पंवार, दिलीप देशमुख, अरविन्द जोशी, सत्यनारायण जोशी, सतीश मेहता, एसपी झा, प्रदीप बदनोरे, गिरीश शर्मा, बी एल बागोरा, एन के राय, एन पी बहोरे, अरूण ज्ञानी, चरणजीत टूटेजा, महेश त्रिवेदी, श्री बलवटे, कमलेश रावल, सुरेश गेहलोद, बीएस भार्गव, प्रदीप आंचलिया, रामगोपाल स्वर्णकार, सुधीर जोशी, लायन कैलाश डागा, शैलेन्द्र उपाध्याय, ओम त्रिवेदी, राजेश जैन, हेमंत जोशी, रवि पंड्या, जितेन्द्र जोशी, अमित मेहता, पं. रवि शुक्ला, पं.सौरभ शर्मा, हितेश चेतनानी, प्रिंस केसवानी, शंकर सूर्यवंशी, एस एन चौहान, एससी शर्मा, अशोक शर्मा सहित बड़ी संख्या में सहकारी समितियों के प्रबंधक स्टाफ मित्र परिजन उपस्थित रहे।