240 बालक बालिकाओं ने जैन समाज में रचा इतिहास,ऐतिहासिक बाल संस्कार शिविर का हुआ समापन 

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) श्री 108 आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज एवं परम पूज्य आचार्य श्री 108 प्रज्ञा सागर जी महाराज के मंगल आशीष से पौराणिक, ऐतिहासिक धर्म नगरी एवं तीर्थंकर महावीर स्वामी की तपस्थली उज्जैन के इतिहास में दिग जैन सोशल ग्रुप सम्यक द्वारा आयोजित सुविशुद्ध बाल संस्कारारोपण आवासीय शिविर का आयोजन परम पूज्य उपनयन संस्कार प्रणेता प्राचीन तीर्थ जीणोद्धारक विशुद्ध रत्न श्रवण श्री सुप्रभ सागर जी एवं परम पूज्य श्रमण रत्न श्री प्रणत सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में सानंद संपन्न हुआ। जिसमें उज्जैनी नगरी के साथ-साथ इंदौर धार मंदसौर बड़नगर जयपुर आदि अनेक शहरों से 8 वर्ष से 21 वर्ष के कुल 240 बालक बालिकाएं सम्मिलित हुए इस शिविर की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि परम पूज्य मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज का निर्देशन विशेष रूप से प्राप्त हुआ,प्रातः 5ः30 बजे से परम पूज्य मुनि श्री द्वारा प्रार्थना करवा कर इस शिविर का प्रारंभ होता था जिसमें श्री जिनेंद्र भगवान का अभिषेक,पूजन विधिपूर्वक किया जाता था शारीरिक विकास के साथ ही बालक बालिकाओं के मानसिक विकास के लिए अनेक कक्षाएं परम पूज्य मुनि श्री एवं बाल ब्रह्मचारी चक्रेश भैया बाल ब्रह्मचारी अभिषेक भैया बाल ब्रह्मचारी आदित्य भैया एवं प्रतिष्ठाचार्य पंडित अखिलेश शास्त्री द्वारा ली गई थी यह त्रिदिवसीय  शिविर बालक बालिकाओं के जीवन के विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ क्योंकि यहां जीवन जीने की कला को मात्र शब्दों में ही नहीं  अपितु प्रैक्टिकल लाइफ के माध्यम से शिविरार्थियों को सिखाया गया।

धर्म सभा को संबोधित करते हुए परम पूज्य मुनि श्री ने कहा कि वर्तमान में व्यक्ति मात्र नाम ख्याति लाभ पूजा के लिए भाग रहा है चाहे वह श्रावक हो या साधु लेकिन नाम के पीछे भागने से कभी भी काम नहीं होता अपितु व्यक्ति जब कुछ अच्छा काम करता है तो उसका नाम स्वयमेव भी हो जाता है और तीर्थंकर भगवान महावीर की तपोस्थली में बालक बालिकाओं में जो संस्कारों का ओपन हो रहा है वह निश्चित ही उनके जीवन की दिशा और दशा को बदलने के लिए एक कार्यकारी सोपान साबित हुआ है क्योंकि यह परम सत्य है कि जिनके संस्कार नहीं उसका कोई आधार नहीं और इन बालक बालिकाओं को बाल्यावस्था में जो संस्कार दिए जाएंगे वह चिरकाल तक रहेंगे
सुविशुद्ध संस्कारारोपण शिविर में 240 बच्चों ने एक साथ पहली बार मुनि श्री को आहार हेतु पड़गाहन के दृश्य ने समूचे जैन समाज में इतिहास रच दिया, 8 वर्ष से 22 वर्ष के बच्चो द्वारा मुनि श्री को आहार दान दिया जाता था उनको नवधा भक्ती पूर्वक कैसे आहार देना यह सिखलाया जाता था  कई बच्चों ने पहली बार श्री जी का अभिषेक पूजन और मुनि श्री को आहार दिया।
अंतिम दिन सभी बच्चों की एग्जाम  परीक्षा ली गई जिसमें प्रथम,द्वितीय और तृतीय श्रेणी में आए बच्चों को दिगंबर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन के पदाधिकारियों ने सभी बच्चों के माता पिता के सामने सम्मानित किया।