मन की बात का दस्तावेजीकरण सिर्फ उज्जैन में ,डॉ देवेंद्र जोशी की पुस्तक ‘जन गण मन की बात’ का लोकार्पण

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में समाहित विचारों को जन गण मन की बात शीर्षक से पुस्तकाकार प्रस्तुत कर लेखक साहित्यकार डॉ देवेंद्र जोशी ने एक ऐसा महनीय कार्य किया है जिसकी अनुगूंज आने वाले कई वर्षों तक सुनाई देगी। उनकी यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम में व्यक्त विचारों का आईना है। मन की बात भले ही करोड़ों लोगों तक पहुंची हो लेकिन उसका दस्तावेजीकरण सिर्फ उज्जैन में हुआ है।

उक्त विचार वक्ताओं ने रविवार शाम राम जानकी मंदिर में आयोजित डॉ देवेंद्र जोशी की पुस्तक जन गण मन की बात के लोकार्पण अवसर पर व्यक्त किए। मध्यप्रदेश लेखक संघ, उज्जैन के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि संस्कृत विद्वान प्रो तुलसीदास परोहा, साहित्यकार डॉ शिव चौरसिया, न्यायविद शशि मोहन श्रीवास्तव, महन्त श्याम दासजी महाराज, कुलानुशासक डॉ शैलेन्द्र कुमार शर्मा, चित्रकार श्रीकृष्ण जोशी, आचार्य किशोर महाराज वाराणसी थे। अध्यक्षता आचार्य डॉ हरिमोहन बुधौलिया ने की। इस अवसर पर प्रमुख वक्ता के रूप में बोलते हुए कुलानुशासक डॉ शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि यह पुस्तक राजनीतिक सांस्कृतिक इतिहास से ज्यादा लोकसंवाहक का इतिहास है। इसमें सन 2014 से लेकर सन 2019 तक के 5 वर्षों का भारतीय सभ्यता संस्कृति के इतिहास का लेखा जोखा है। पुस्तक बताती है कि मन की बात कार्यक्रम ने लोगों के मन, मान्यताओं और दृष्टिकोण को किस तरह से बदला है। यह पुस्तक सच्चे अर्थों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा व्यक्त विचारों का निचोड़ है जो रेडियो जैस संचार के पारंपरिक माध्यम की लोकप्रियता को प्रमाणित करती है। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिव चौरसिया ने इस अवसर पर कहा कि डॉ देवेंद्र जोशी मल्टीडाइमेंशंस वाले लेखक हैं। उनका लेखन बहुआयामी है। 30 से अधिक पुस्तकों में विविध विषयों पर उन्होंने लोकप्रिय समाजोपयोगी लेखन किया है। इस पुस्तक के माध्यम से वर्तमान कालीन समाज की सकारात्मक छवि पाठकों के समक्ष प्रस्तुत की है। इस पुस्तक का भाग दो भी सामने आना चाहिए। संस्कृत विद्वान तुलसीदास परोहा ने इस अवसर पर वाल्मीकि रामायण के तथ्यों के आधार पर इस भ्रांति को तोड़ा कि प्रभु श्री राम ने सीता माता का त्याग किया था। उन्होंने वाल्मीकि द्वारा प्रणीत मूल राम कथा के उद्धरण के आधार पर कहा कि उसमें सीता त्याग का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। यह कपोल कल्पना मिथ्या धारणा है जिसे बाद में कतिपय शरारती तत्वों ने जोड़ दिया है। जनसामान्य को इस भ्रम से बचना चाहिए। कार्यक्रम को आचार्य किशोर वाराणसी, महंत श्याम दासजी, पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश शशि मोहन श्रीवास्तव, वरिष्ठ चित्रकार कृष्ण जोशी, डॉ हरिमोहन बुधौलिया आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आयोजित गीत गजल गोष्ठी में प्रफुल्ल शुक्ला, सीमा जोशी, आर पी तिवारी, डॉ नेत्रा रावणकर, डॉ रफीक नागौरी, अनिल पांचाल ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं का पाठ किया। वरिष्ठ पत्रकार मुस्तफा आरिफ द्वारा मन की बात पर लिखी टिप्पणी भी इस अवसर पर प्रस्तुत की गई।। सरस्वती वंदना सीमा जोशी ने प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत डॉ हरीशकुमार सिंह, सीमा जोशी, शीला व्यास, संतोष सुपेकर, हरिहर शर्मा आदि ने किया। संचालन डॉ देवेंद्र जोशी और आभार डॉ उर्मि शर्मा ने माना।