महाकाल भक्तों को प्रसाद उपलब्ध कराने में प्रभारी पीयूष त्रिपाठी नाकाम – महाकाल सेना ने मंदिर प्रशासक को पत्र देकर की कार्रवाई की मांग

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा कई प्रकल्प चलाए जाते हैं लेकिन प्रभारी और उनके सहयोगियों की नाकामी के कारण यह प्रकल्प मंदिर की बदनामी के कारण बन रहे हैं।

समिति ने महाकाल भक्तों को साल के अंत व नववर्ष के दौरान उमड़ने वाली लाखों भक्तों की भीड़ को देखते हुए लड्डू प्रसाद उपलब्ध कराने की विशेष जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन वे उचित व्यवस्था नहीं कर पाए इसके चलते हजारों लोगों को प्रसाद ही नहीं मिला। इसमें मंदिर समिति द्वारा नियुक्त प्रभारी पीयूष त्रिपाठी व उनके सहयोगी कर्मचारी गोपाल मामा, कमलेश सिसौदिया की भूमिका भी संदिग्ध ही रही। क्योंकि प्रभारी पीयूष त्रिपाठी ने कुछ कर्मचारी की ड्यूटी बदलने के आदेश खुद मंदिर प्रशासक महोदय से कहकर करवाए थे। पिछले 1 माह से इसके चहेते कर्मचारी प्रशासक महोदय के आदेशों की अवहेलना कर उसी काउंटर पर अब भी डटे हुए हैं। जिसके काउंटर मंदिर परिसर में स्थित है। शिकायत केवल पर्याप्त प्रसाद की उपलब्धता की ही नहीं बल्कि यह भी है कि जब कोई श्रद्धालु प्रसाद लेने जाता है तो कर्मचारी द्वारा प्रसाद के पैकेट मांग अनुसार नही दिए जाते हैं, साथ ही समिति द्वारा निर्धारित कीमत से 10 रुपए या इससे अधिक रुपए रख लिए जाते हैं और जब श्रद्धालु द्वारा बचे रूपयों की मांग की जाती हैं तो खुल्ले पैसे लाकर देने का कहते हैं जो कि उस समय श्रद्धालु के लिए भी संभव नहीं होता। ऐसे में श्रद्धालु शेष बची राशि छोड़कर ही चले जाते हैं। यह राशि कार्मचारी जेब में रख लेते हैं। यह खुली लूट मंदिर समिति की नाक के नीचे चल रही हैं। इस आशय का एक पत्र महाकाल सेना ने 6 दिसंबर 22 को दिया था लेकिन इस संबंध में जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो 1 जनवरी 23 को पुन: एक स्मरण पत्र  मंदिर प्रशासक महोदय को दिया गया है।

महाकाल सेना धर्म प्रकोष्ठ के प्रदेश संगठन प्रमुख सुरेश शर्मा ने बताया कि मंदिर समिति के पीयूष त्रिपाठी की नियुक्ति सामान्य कर्मचारी के रूप हुई हैं फिर भी वे वर्तमान में महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के निर्देशक प्रभारी के रूप में काम देख रहे हैं। वर्तमान में त्रिपाठी का वेतन 55 हजार रुपए है। साथ ही 60 लीटर पेट्रोल भत्ता अलग से प्राप्त कर रहे हैं, जो कि एक तरह से देखे तो मंदिर में आने वाले दान से ही दिया जा रहा है। यह मंदिर की संपत्ति के दुरुपयोग का मामला है। इसकी जांच की जाना चाहिए। महाकाल सेना मांग करती हैं की श्रद्धालु को जितना प्रसाद चाहिए उसे वह उपलब्ध होना चाहिए तथा नाकाम और कर्तव्यहीन प्रभारी, कर्मचारियों को हटाकर सेवाभावी और कर्तव्य निष्ठ कर्मचारी की नियुक्ति की जाएं।