50 के बाद शरीर से ज्यादा आत्मा के श्रृँगार पर ध्यान हो -सुलभ शान्तु गुरु

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) दर्पण मे हमारा रुप दिखता है, स्वरुप दिखता है। दर्पण हमे सत्य का दर्शन कराता है और सत्य को देख कर स्वीकारना चाहिऐ। उसे अस्वीकार नही करना चाहिऐ हमारा शरीर हमें समय समय पर संकेत करता है उन संकेतो को ध्यान मे रख कर जीवन मे समय के साथ परिवर्तन लाना चाहिए। वानप्रस्थ के प्रारंभ होते ही शरीर श्रृँगार से अधिक ध्यान आत्मा के कल्याण पर लगाना चाहिए। उक्त बात श्री महारत्नेश्वर महादेव मंदिर समिति द्वारा नवनिर्मित मंदिर में श्री महारत्नेश्वर महादेव एवं शिव परिवार की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव दौरान आयोजित श्रीराम कथा में वनवास की कथा गाते हुए कथा व्यास सुलभ शान्तु गुरु ने कही। आपने कहा कि हमारे यहां चार वर्ण और चार आश्रम की परंपरा है ये सुखी जीवन का प्रंबधन है। 50 के पहले यदि प्रतिदिन कपडे़ बदलते है नित्य दाड़ी बनती है तो ठीक पर 50 के बाद यदि दो दिन न बने तो चिंततीत मत होईये बनी तो ठीक न बनी तो ठीक। 50 के बाद चिन्ता कपड़े और दाडी की न हो भगवान के भजन की हो। मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेश जायसवाल ने बताया कि यज्ञाचार्य आचार्य पं. प्रशांत अग्निहोत्री ब्रह्माचारीजी श्रीश्री विद्याधाम इंदौर द्वारा पंच कुंडीय रूद्र महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। कथा समापन पर विधायक पारस जैन, श्रीराम कथा के मुख्य यजमान ब्रजेशसिंह बैस, प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान पवन विश्वकर्मा ने आरती की। कलश यात्रा श्री अंबे माता मंदिर से प्रारंभ हुई तथा कार्यक्रम स्थल ग्रेटर रतन एवेन्यू स्थित श्री महारत्नेश्वर महादेव मंदिर पहुंची। तत्पश्चात दोपहर में श्रीराम कथा प्रारंभ हुई। कथा 4 मार्च तक प्रतिदिन दोपहर 3 से शाम 7 बजे तक होगी। इस अवसर पर आशीष सामरिया, बंटी अग्रवाल, रामसिंह मंडलोई, सुनील ठाकुर, धर्मेन्द्र विश्वकर्मा, विशाल यादव, गिरधर बजाज, अजय खंडेलवाल, पं. मनोज मिश्रा, राजेश श्रीवास्तव, मनीष भावसार, विष्णु शर्मा आदि मौजूद रहे।