महंत विनीत गिरी की अध्यक्षता में हुई बैठक सवालों के घेरे में, बैठक में शामिल कई संतों ने कहा हम अवधेशपुरीजी के समर्थन में

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) क्रांतिकारी संत एवं स्वास्तिक पीठ के संस्थापक डॉ. अवधेश पुरी महाराज के कथित बहिष्कार में शनिवार को नया मोड़ आ गया। जिन संतों को बैठक में अन्य विषयो का बोलकर बैठक में बुलाया गया शनिवार को उन्होंने आरोप लगाया कि हमें धोखे में रखकर यह फैसला कराया गया है। बैठक शिप्रा आंदोलन, मठ मंदिर से जुड़े विधेयक को लेकर थी लेकिन बाद में वहां उक्त विषय रखकर सभी से सहमति ली गयी। शनिवार को इन संतो ने फिर से बैठक की और कहा कि बहिष्कार से हमारा कोई संबंध नहीं हम अवधेश पुरी जी का समर्थन करते हैं वे भी संत समाज से हैं और हमारे अपने है।

बता दें कि महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी ने अपने महंत कक्ष में एक बैठक आहूत कर सभी अखाड़ों के हवाले से डॉ. अवधेश पुरी के बहिष्कार किए जाने की बात कही थी। यह जानकारी जब बैठक में मौजूद अन्य संतों को लगी तो उन्होंने कहा कि हमें धोखे में रखकर वहां बुलाया गया बहिष्कार से हमारा कोई संबंध नहीं है। जूना अखाड़ा नीलगंगा के थानापति महंत देवगिरी महाराज, ज्योतिगिति आश्रम के महंत किशनगिरी जी महाराज, महंत गुप्त गिरी जी महाराज एवं महंत देव पुरी जी महाराज ने एक सुर में कहा कि बैठक में यह एजेंडा भी होगा इसकी हमें कोई जानकारी नहीं दी गई थी। डॉ. अवधेश पुरी महाराज के बहिष्कार से हम संबंध नहीं रखते। यह उनके महानिर्वाणी अखाड़े का आपसी मामला है। जिस पर स्थानीय स्तर से वैसे भी कोई निर्णय नहीं हो सकता। संतो ने बैठक कर कहां की और भी कई संत शिप्रा शुद्धिकरण आंदोलन व मठ मंदिर विधेयक संबंधी बैठक होने की सूचना पर शामिल हुए थे। लेकिन एकाएक इस तरह का प्रस्ताव रख सभी से सहमति करा ली गई जो कि अनुचित है। बैठक में इस तरह के कार्य की निंदा करते हुए दर्जनभर से अधिक स्थानीय संतो ने डॉ. अवधेश पुरी जी का समर्थन किया और कहा कि वह हमेशा सनातन धर्म व संत समाज के लिए संघर्ष करते हैं।
महानिर्वाणी अखाड़े के मुख्यालय तक पहुंचा मामला
डॉ. अवधेश पुरी महाराज फिलहाल महानिर्वाणी अखाड़े से जुड़े हैं। स्थानीय स्तर पर विनीत गिरी महाराज को उन्हें अखाड़े में रखने या ना रखने संबंधी फैसला लेने का अधिकार नहीं है। शनिवार को यह मामला महानिर्वाणी अखाड़े के मुख्यालय तक भी पहुंचा। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती महाराज एवं अखाड़े के वरिष्ठ संत महंत रविन्द्रपुरीजी महाराज को विषय की जानकारी तक नहीं। जिस पर श्री रविंद्रपुरी जी ने भी साफ किया कि इस तरह के किसी संत के बहिष्कार कि उन्हें जानकारी नहीं है। और यदि ऐसा कुछ होगा तो इसकी अखाड़े में एक अलग पंच व्यवस्था है। ऐसे में यही माना जा सकता है की महंत विनीतगिरी खुद को अखाड़े से भी बड़ा समझ कर मनमाने निर्णय करवा रहे हैं। बहिष्कार का अधिकार अखाड़े के जिन वरिष्ठ संतों को है उनमें से किसी को भी बहिष्कार की जानकारी तक नहीं। ऐसे में महंत विनीत गिरी ने अपने को अखाड़े से बड़ा मानते हुए अनाधिकार निर्णय ले लिया।