पौधारोरण कार्यक्रम के पश्चात वैदिक शोध संस्थान के सभा कक्ष में पर्यावरण संरक्षण पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम मां सरस्वती की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया। स्वागत उद्बोधन संस्था के प्राचार्य पियुष त्रिपाठी द्वारा दिया गया तथा मा. मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन सचिन शिम्पी जिला समन्वयक द्वारा किया गया। सर्वप्रथम अशोक शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री को पुरोहितों की ओर से बधाई दी गई। परिषद के उपाध्यक्ष विभाष उपाध्याय द्वारा इस अवसर पर कहा गया कि हमारी संस्कृति वृक्षों के संरक्षण और संवर्धन पर आधारित है। वैद और शास्त्रों में पर्यावरण का विशेष उल्लेख और हमें इस दिशा में वर्तमान में भी कार्य करने की आवश्यकता है। वृक्ष ही जल संरक्षण का महत्वपूर्ण श्रोत है। संत बालयोगी उमेशजी महाराज ने अपने मार्गदर्शन में कहा कि जन्म दिवस ही नहीं अपितु प्रत्येक अवसर पर वृक्षारोपण करना चाहिये। जो शास्त्र संगत जीवन जीता है वह सद् गृहस्थी है। भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि मनुष्यों में राजा, नदी में गंगा और वृक्षों में पिपल हॅू। पौधा लगाकर राष्ट्र एवं पर्यावरण की सेवा करनी है।
कार्यक्रम के अंत में मुख्य वक्ता संत आचार्य शेखर जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा संत और वृक्ष एक समान है जो देने का ही कार्य करते है। जैसे वृक्ष, नदी, गाय व संत सभी परोपकारी है, उन्होंने गौसेवा एवं वृक्षारोपण पर ही जोर दिया। वृक्ष जो हमें प्राण वायु एवं फल देते है उनका रोपण एवं संरक्षण करना चाहिये। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार शिवप्रसाद मालवीय संभाग समन्वयक म.प्र. जन अभियान परिषद उज्जैन द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सर्वश्री शैलेष त्रिपाठी, लोकेन्द्र मालवीय, विपिन धाकड़, आशिष नाटानी, रमेश नागर, आकाश देधलिया, विजय शर्मा, मनोहर भालेराव, राजेश पुजारी, लोकेश मालवीय, निनाद काले, जयपाल पंवार आदि उपस्थित रहें।