ब्रह्म योग रवि योग में घर परिवार में विराजमान होने आ रहे  गणपति बप्पा, मुहूर्त में कर लें बप्पा की स्थापना, घर आएंगी खुशियां

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन 7 सितंबर शनिवार को दोपहर 2 बजकर 42 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना के लिए शुभ विशिष्ट मुहूर्त 12 बजकर 10 मिनट से शुरू हो रहा है। इस मुहूर्त का समापन उसी दिन दोपहर के 1 बजकर 30 मिनट पर होगा।

श्री मांतगी ज्योतिष केंद्र ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया कि गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान श्रीगणेश को समर्पित है। यह पर्व गणपति बप्पा के जन्म उत्सव के रूप में जाना जाता है। सनातन धर्म में भगवान गणेश प्रथम पूज्य माने जाने वाले है। 33 कोटी देवताओं में प्रथम पुज्य और सभी गणों के स्वामी हैं। गणेश जी की पूजा करने से न केवल सुख-समृद्धि बल्कि ज्ञान की भी प्राप्ति होती हैं। भाद्रपद माह और सर्वाधिक शुभ होता है। धार्मिक मान्यताओं पौराणिक कथा के अनुसार इस मास में जन्म हुआ था। उनकी पूजा करने से न केवल सुख-समृद्धि बल्कि ज्ञान की भी प्राप्ति होती हैं। चिंता, कष्ट दुर होते हैं। हम जो चाहते है वो प्राप्त होता है। मनोकामनापूर्ण होती है, विशेष फल की प्राप्ति के लिए, किसी भी नए काम की शुरुआत यदि गणेश जी के नाम से की जाए, तो वह हमेशा सफल होता है। वैसे तो रोजाना ही भगवान गणेश की पूजा की जाती है। लेकिन सप्ताह में बुधवार का दिन उनकी पूजा के लिए समर्पित होता है।
ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया कि प्रतिवर्ष इस तिथि को एक उत्सव की तरह हर्षोल्लास धूमधाम से मनाया जाता है, जो 10 दिनों तक लगातार चलता है। इस साल गणेश चतुर्थी का उत्सव 7 सितंबर से शुरू होगा, जबकि गणेश विसर्जन 17 सितंबर, 2024 के दिन किया जाएगा। इस दौरान उनकी पूजा करने से सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती हैं। इस दिन ब्रह्म योग और चित्रा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, जो इस तिथि की महत्ता को अधिक बढ़ रहा हैं।
गणेश जी की सूंड का कौन सा भाग घर के लिए शुभ माना जाता है?
पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया कि वास्तु शास्त्र में गणेश जी की दाईं और बाईं सूंड दोनों का महत्व है। दाईं ओर मुड़ी सूंड समृद्धि और सिध्दि की प्रचुरता से जुड़ी है, जबकि बाईं ओर मुड़ी सूंड बुद्धि और रचनात्मकता से जुड़ी है सुखदायक उर्जा प्रवाह शुभदायक माना जाता है। चुनाव व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और वांछित आशीर्वाद पर निर्भर करता है। गणेश जी को विराजमान करने के लिए ब्रह्म स्थान, पूर्व दिशा और उत्तर पूर्व कोण शुभ माना गया है।