महाकाल मंदिर में देश के अन्य मंदिरों , की व्यवस्था की नकल करना उचित नहीं

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) महाकाल मंदिर की अपनी एक परंपरा और व्यवस्था हैं जो कि बहुत पुरातन और कालजयी हैं। इसलिए देश के अन्य मंदिरों की परंपरा और व्यवस्था को महाकाल मंदिर में लागू करना उचित नहीं हैं। 
क्योंकि देश में अलग-अलग स्थानों में प्रसिद्ध मंदिर स्थित है जहां की अपनी अलग परंपरा है। खाटू श्याम और शिर्डी में ट्रस्ट के द्वारा पुजारी नियुक्त हैं जबकि महाकाल, काशी और तिरुपति बालाजी मंदिर में वंश परंपरागत पुजारी है। अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी ने इस संबंध में कहा कि महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्था हेतु किसी भी अन्य धर्म स्थल की नकल करने की आवश्यकता नहीं है। महाकाल मंदिर की स्वयं की ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। जिसे अगले 100 वर्षों तक बदलने की आवश्यकता ना पड़े। जिसका उदाहरण देश के अन्य मंदिरों में दिया जा सकें। देश के अन्य मंदिरों की दर्शन व्यवस्था में वीआईपी, प्रोटोकॉल और अधिकारियों से ज्यादा आम भक्त और पुजारियों के मान, सम्मान को ध्यान में रखकर योजना बनाई जाती हैं। जैसे तिरुपति बालाजी में वीआईपी और प्रोटोकॉल को भी शुल्क देना होता हैं जिसका उदाहरण महाकाल मंदिर के पुर्व प्रशासक श्री रावत के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल तिरुपति बालाजी गया था और वहां की व्यवस्था भी उन्होंने देखी थी। उन्होंने भी 500 रुपए की रसीद कटवाकर दर्शन सुविधा का लाभ लिया था। क्या महाकाल मंदिर में वीआईपी से शुल्क लिया जाएगा ? इसी प्रकार खाटू श्याम में भी केवल 10 फीट दूर से आम और वीआईपी को दर्शन कराए जाते हैं। काशी विश्वनाथ में भी आम भक्तों को गर्भगृह में जाकर जल चढ़ाने की सुविधा दी जाती हैं और गर्भगृह में बैठकर पुजारी अभिषेक कराते हैं। साथ ही आरती के समय सभी पुजारी मिलकर आरती करते हैं।
शिर्डी में भी भक्तोंं को समाधि तक स्पर्श करने की सुविधा है। साथ ही इन स्थानों पर पुजारियों को भी किसी प्रकार के प्रतिबंध नहीं होते हैं। वहां अन्नक्षेत्र भी निःशुल्क हैं। धर्मशाला के कमरों का किराया भी नाममात्र होता है। श्रद्धालुओं को निःशुल्क लॉकर सुविधा दी जाती हैं। मंदिर में मिलने वाले प्रसाद का भी नाममात्र शुल्क लिया जाता हैं। यदि मंदिर प्रशासन इन मंदिरों की सुविधाओं को महाकाल मंदिर में लागू करता है तो मंदिर समिति का स्वागत किया जाएगा।
यदि यह सुविधा देने में मंदिर समिति को कठिनाई आ रही हैं तो अखिल भारतीय पुजारी महासंघ महाकाल मंदिर के 16 पुजारियों को साथ लेकर यह समस्त सुविधाएं आम श्रद्धालुओं को देने के लिए तत्पर होगा। इसके लिए शीघ्र ही पुजारी महासंघ का प्रतिनिधि मण्डल देश के मंदिरों की व्यवस्था का अवलोकन करेगा।
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