अब नकली दवाओं को पकड़ना हो जाएगा आसान, जेनरिक दवाइयों पर QR कोड व्यवस्था लागू

इंदौर:(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी)  मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में बिकने वाली जेनेरिक दवाइयों पर अब प्राथमिकता से बार कोड और QR कोड लगाए जा रहे हैं. फिलहाल यह व्यवस्था दवा बाजार में बिकने वाली 300 प्रकार की दवाइयों पर लागू की गई है. दरअसल, इंदौर को प्रदेश और देश का एक बड़ा मेडिकल हब माना जाता है. इसलिए मुख्य रूप से यहां बिकने वाली दवाइयों पर बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन निगरानी करेगा. अगर बात दवाओं की करें तो मध्य प्रदेश में सर्वाधिक दवाइयां इंदौर में तैयार होती हैं, जिहां से इन्हें राज्य के फुटकर एवं थोक दवा बाजार में बेचा जाता है.

प्रदेश के सबसे बड़े फार्मा और मेडिकल हब इंदौर में भी जो दवाइयां डॉमेस्टिक मार्केट में बेची जाएंगी उन सभी में भी यही व्यवस्था लागू की गई है. जिससे अब नकली दवाओं को पकड़ना काफी आसान हो जाएगा. बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन के महासचिव जे.पी मूलचंदानी ने बताया कि देश में पहले जो दवाइयां डोमेस्टिक मार्केट में तैयार होती थी, उन्हें एक्सपोर्ट करना होता था. इसके लिए क्यूआर कोड या बार कोड जरूरी था.

मूलचंदानी का कहना है कि लोकल मार्केट में जेनेरिक नाम से बिकने वाली दवाओं पर यह व्यवस्था लागू नहीं थी, जिसके फलस्वरूप विभिन्न राज्यों में जेनेरिक नाम से नकली दवाइयां बेची जा रही थीं, इसलिए भारत सरकार ने डोमेस्टिक मार्केट में बिकने वाली 300 दवाओं के लिए भी यही नियम लागू कर दिया है. इससे लोकल मार्केट में बन कर बाजार में बेची जाने वाली नकली दवाओं पर भी नकेल कसी जाएगी. इंदौर समेत लोकल मार्केट में जो दवाइयां बीते एक अगस्त के बाद आयी हैं, उनकी पड़ताल होगी.

क्यूआर कोड में यूनिक प्रोडक्ट आईडेंटिफिकेशन कोड के तहत दवाई का उचित जेनेरिक नाम, ब्रांड नेम, दवा बनाने वाली कंपनी का नाम, पता, बैच नंबर, विनिर्माण की तारीख, एक्सपायरी की तारीख और विनिर्माण का लाइसेंस नंबर जैसी सभी जानकारी जरूरी की गई है. दवा फॉर्मूलेशन के ब्रांडों के किसी भी बेच में यह लगाना जरूरी होगा. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की अधिसूचना के अनुसार यह नियम उन सभी स्वदेशी और विदेशी दवा निर्माताओं पर लागू होगा जो भारत में संबंधित 300 दवाओं का निर्माण और विक्रय कर रहे हैं.