दिनकर जी अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से अमर हो गए : कलेक्टर चंद्रमोली शुक्ला

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) दिनकर जी अपनी रचनाओं से सबके मन मष्तिष्क पर महत्वपूर्ण छाप छोड़कर गए हैं और वे अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से अमर हो गए हैं। सभी ने आज दिनकर जी को बखूबी याद किया है और दिनकर जी सचमुच में महान साहित्यकार रहे हैं।

ये विचार आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत एवं प्रख्यात कवि-व्यंग्यकार स्व. दिनकर सोनवलकर की 90वीं जयन्ती के अवसर पर देवास के विक्रम सभा भवन में दिनकर सृजन सम्मान समारोह एवं छायाचित्र प्रदर्शनी में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला ने व्यक्त किए। विशेष अतिथि देवास निगमायुक्त विशालसिंह चौहान ने कहा कि कैलाश सोनी ने अपने चित्रों में मानव की गतिविधि के हर पहलू को स्पर्श किया है। समारोह के मुख्य अतिथि साहित्यकार डा. शिव चौरसिया ने कहा कि दिनकर जी ने अपनी कविताओं में, समाज में व्याप्त विसंगतियों, विडंबनाओं और विकृतियों पर तीखा प्रहार किया है, चाहे राजनीतिक क्षेत्र हो, सामाजिक क्षेत्र हो, शिक्षा का क्षेत्र हो या वह अन्य सांस्कृतिक क्षेत्र हो। दिनकर जी शालीनता के साथ अपने व्यंग्य के माध्यम से विसंगतियों पर प्रहार करते थे। वे स्वभाव से फक्कड़, मनमौजी और बेबाक थे जो सही समझते थे वो ही लिखते थे। उनके शब्द तब भी प्रासंगिक थे एवं आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने जिस बेबाकी से अपनी बात कही, वह उन्हें कबीर की श्रेणी में खड़ा करती है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ व्यंग्यकार सूर्यकांत नागर ने कहा कि सोनवलकर जी किसी विचारधारा से आबद्ध रचनाकार नहीं थे पर उनकी प्रतिबद्धता असंदिग्ध थी। दरअसल प्रतिबद्धता तो इस बात से तय होती है कि जीवन संघर्ष में लेखक समाज के किस वर्ग के साथ खड़ा है। दिनकर के लेखकीय जीवन और सामाजिक जीवन में कोई भेद नहीं था। साहित्यकार प्रकाशकांत ने कहा कि कैलाश जी के इन चित्रों में ही कला की चरमोत्कर्ष सीमा दिखाई देती है। दिनकर सृजन सम्मान से सम्मानित व्यंग्यकार डॉ. हरीशकुमार सिंह ने दिनकर जी को याद करते हुए कहा कि दिनकर जी की शख्शियत महान रही और तब जावरा का शासकीय महाविद्यालय प्राध्यापकों की योग्यता और विद्वत्ता के कारण जाना जाता था। अपनी कविता के जरिये व्यंग्य करने वालों कवियों में दिनकर जी अग्रणी थे। आज उनके नहीं रहने पर दिल्ली की पत्रिका ‘व्यंग्य यात्राÓ ने कबीरी धारा के व्यंग्य कवियों में दिनकर जी की रचनाओं का हाल ही में प्रकाशन किया।
समारोह में देश के प्रसिद्ध छायाचित्रकार कैलाश सोनी के छायाचित्रों की प्रदर्शनी का शुभारंभ अतिथियों ने किया। इस अवसर पर कैलाश सोनी को उनकी उपलब्धियों के लिए शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह द्वारा अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। व्यंग्यकार डा. हरीशकुमार सिंह को 2022 का दिनकर सृजन सम्मान, शाल श्रीफल, सम्मान पत्र और ग्यारह हजार रुपये की सम्मान निधि प्रदान कर किया गया। कैलाश सोनी के सम्मान पात्र का वाचन सुधीर जोशी और डा. हरीशकुमार सिंह के सम्मान पात्र का वाचन दीक्षा सोनवलकर ने किया। प्रतीक सोनवलकर ने हरीश के व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर दिनकर सृजन परिशिष्ट का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का आरम्भ दीक्षा सोनवलकर के नृत्य द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति से हुआ। अतिथि सत्कार एवं स्वागत भाषण अध्यक्ष डॉ. पंकजा सोनवलकर एवं सचिव आलोक गुप्ता ने किया। स्वर्णकार समाज की ओर से मनोहर सोनी, राधेश्याम सोनी एवं कार्यकारिणी सदस्यों ने भी सोनी का अभिनंदन किया। स्वागत प्रतीक सोनवलकर, अजय तिवारी, उमेदसिंह, सुधीर जोशी, विवेक डांगरिकर आदि ने किया। फोटोग्राफर एसोसिशन की ओर से अध्यक्ष देवेन्द्र गौड़, सचिव प्रदीप नाथ ने भी शाल श्रीफल से अभिनंदन किया। चामुण्डा सेवा समिति की ओर से रामेश्वर जलोदिया, उम्मेदसिंह राठौर ने, स्वर्णकार महिला मंडल की ओर से राजश्री राजेश सोनी ने स्वागत किया। नारायण कुटी सन्यास आश्रम की ओर से गोपाल जगवानी, शीलनाथ धुनी संस्थान की ओर से अजीत भल्ला ने स्वागत किया। इस अवसर पर दिनकर सोनवलकर की सुपुत्री प्रो. प्रतीक्षा पाठक, सुनील पाठक, उज्जैन से पूर्व न्यायाधीश शशिमोहन श्रीवास्तव, संतोष सुपेकर, देवास के पूर्व महापौर शरद पाचुनकर, वरिष्ठ साहित्यकार जीवनसिंह ठाकुर, विजय बैरागी, प्रदीप मिश्र, नितेश जोशी, नरेन्द्र भावसार, गरिमा सोनी, रजनी रमण शर्मा, इंदौर से छायाकार प्रवीण व्यास, बम्बई से सफदर स्वामी उपस्थित थे। संचालन मोहन वर्मा ने किया। आभार दिनकर सृजन संस्थान अध्यक्ष डॉ. पंकजा सोनवलकर ने माना।