गोवर्धन सागर में चली नाव,सरोवर के नए स्वरूप में आने के बाद महिलाओं ने किया पूजन

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी)    उज्जैन के सप्तसागरों में से एक अंकपात मार्ग स्थित गोवर्धन सागर में लगातार 17 दिनों तक श्रमदान के बाद शनिवार को नाव चल पड़ी। गोवर्धन सागर का स्वरूप अब पूरी तरह से बदल गया है। गोवर्धन सागर के नए स्वरूप में आने के बाद क्षेत्रीय महिलाओं ने जल का पूजन किया। साधु-संतो और जनप्रतिनिधियों ने नौका विहार किया, नगर कोट माता जी को चुनरी अर्पित की गई।

20 जनवरी से पहले गोवर्धन सागर पूरी तरह से घास और जलकुंभी से ढंका हुआ था। 21 जनवरी से गोवर्धन सागर के तट पर रामादल अखाड़ा परिषद के साधु-संतो ने अध्यक्ष महंत डा. रामेश्वर दास की अगुवाई में ध्यानाकर्षण धरना आरंभ किया। 27 जनवरी से धरने को श्रमदान के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। लगातार 17 दिन के श्रमदान के बाद गोवर्धन सागर अब पूरी तरह से जलकुंभी और घास से मुक्त हो गया है।

शनिवार सुबह गोवर्धन सागर तट पर प. नीलेश शर्मा और उनकी टीम द्वारा सुंदरकांड का पाठ किया गया। सुंदरकांड पाठ समाप्त होने के बाद प. राजेश त्रिवेदी ने महिलाओं द्वारा गोवर्धन सागर का पूजन सम्पन्न कराया। पूजन और गोवर्धन सागर को माखन-मिश्री का भोग अर्पित करने के बाद रामादल अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत डा. रामेश्वरदास जी , महंत श्री भगवानदास जी, उच्चशिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव, विधायक पारस जैन गोवर्धन सागर में नौका विहार करते हुए नगर कोट माता मंदिर तक पहुंचे। नगर कोट माता जी को चुनरी अर्पित की गई।

पूजन-अर्चन की प्रक्रिया के बाद लगातार 17 दिन तक गोवर्धन सागर की सफाई के अभियान में श्रमदान करने वाले कर्मचारियों व गोवर्धन सागर विकास समिति के सदस्यगणों का साफा बांधकर सम्मान किया गया। स्वागत सम्मान समारोह का संचालन पूर्व पार्षद ओम अग्रवाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर महंत श्री वीनित गिरी जी, महंत श्री सेवानंद गिरी जी, महंत श्री काशीदास जी, महंत श्री दिग्विजय दास जी, महंत श्री परमेश्वरदास जी, महंत श्री बलरामदास जी, महामंडलेश्वर ज्ञानदास जी, महंत श्री जयरामदास जी, महंत श्री रामचंद्रदास जी आदी उपस्थित थे।