उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) प्रशासनिक अधिकारियों में समन्वय की कमी और नगर निगम के भाजपा बोर्ड की लापरवाही की भेंट इस बार कार्तिक मेला चढ़ने वाला है। कार्तिक स्नान की आस तो खतरे में है ही करोड़ों रूपये खर्च कर दुकान लगाने वाले दुकानदार और कार्तिक मेला देखने की उम्मीद लगाए उज्जैनवासियों के अरमानों तक को भाजपा सरकार और अधिकारियों ने मटिया मेट करके रख दिया है।
4 नवंबर से कार्तिक मेला प्रारंभ होने जा रहा है। करीब ढाई करोड़ की दुकानें व्यापारियों ने ली है। इस आस और उम्मीद में कि अपना व्यापार व्यवसाय कर पायेंगे। लेकिन नगर निगम ने मेले की ओर जाने वाला मार्ग पूरा केडी गेट खोद दिया तोड़फोड़ चालू कर दी। छोटी रपट तोड़ना शुरू कर दी है। ऐसे में उज्जैन शहर के 7 लाख लोग नदी के उस पार कैसे जाएंगे। लगभग पूरी आबादी नदी के इस ओर ही बसी है। कई लोगों को दूसरे रास्तों की जानकारी नहीं है। वहीं कार्तिक मेले की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग ही मटिया मेट कर दिये हैं तो कार्तिक मेला देखने उज्जैन शहर की जनता किस मार्ग से जायेगी।
कार्तिक मेला धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का मेला है। कार्तिक मेले का पौराणिक महत्व है। कार्तिक का स्नान करने उज्जैन के साथ ही दूरदराज से लोग आएंगे। कई ग्रामीण एक दिन पहले से ही उज्जैन में आ जाते हैं और उज्जैन की हालत दयनीय करके रख दी है। बिना आम जन की परवाह किये हर रास्ते को एक साथ खोदे जा रहे हैं, ऐसे में लोग 4 तारीख को कैसे स्नान करने जा पायेंगे। नगर निगम, जिला प्रशासन और सेतु निगम में कोई समन्वय नहीं है। संभागायुक्त का काम है इन विभागों को समन्वय कर सिंहस्थ के काम कराये। लेकिन समन्वय तो गड्ढे में कहीं गुम हो गया है। पहले भी गणेश चतुर्थी के समय गोपाल मंदिर क्षेत्र में रीगल टॉकीज को तोड़कर शॉपिंग कॉम्पलेक्स निर्माण के उद्घाटन के दो दिन पहले ही सड़क पर व्यापार व्यवसाय करने वालों को हटा दिया गया था जिससे गरीब व्यापारी अपना सामान तक बेच नहीं पाये और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा था। मुख्यमंत्री का गृहनगर उज्जैन ही है, वे कई बार उज्जैन आते हैं, लेकिन गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले ही उद्घाटन रखना और उसके लिये गरीबों को हटाना, उनका व्यापार बंद करवा देना अत्याचार और तानाशाही से कम नहीं था। ऐसा ही कुछ अब कार्तिक मेले में व्यापारियों के साथ होने जा रहा है। जब व्यापारी व्यापार की उम्मीद लगाए बैठा है, तब उस ओर जाने के सारे रास्ते ही बंद कर दिये गये हैं।
