प्रथम सवारी में मनमहेश स्वरुप में नजर आये बाबा महाकाल

उज्जैन  ।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी)  भगवान श्री मनमहेश पालकी में विराजित होकर अपनी प्रजा के हाल जानने के लिये  पर चाँदी की पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर परम्परागत मार्ग से निकले। सवारी के पूर्व चांदी द्वार के समीप सभामंडप में  पुजारी आदि ने भगवान  मनमहेश के मुखौटे का पूजन-अर्चन किया एवं पालकी को कांधा देकर नगर भ्रमण की ओर रवाना किया। पूजन-अर्चन के अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी एवं श्रद्धालुजन उपस्थित थे। सवारी में पालकी के पीछे हाथी पर मनमहेश विराजित थे।

श्री चंद्रमौलेश्वर भगवान की पालकी मन्दिर के प्रमुख द्वार पर पहुंची, जहां पर सशस्त्र सेना के जवानों ने सलामी दी। सवारी के आगे-आगे घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान, स्वयं सेवी संगठनों के कार्यकर्ता तथा विभिन्न भजन मंडलियों के द्वारा ‘ओम नम: शिवाय’ के जयकारों के साथ चल रहे थे। सवारी गुदरी चौराहा, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुँची, जहाँ क्षिप्रा तट पर भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर का शिप्रा के जल से अभिषेक कर पूजा-अर्चना की गई। पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर के दर्शन के लिये सड़क के दोनों ओर खड़े हजारों दर्शनार्थियों ने पुष्पवर्षा कर भगवान महाकालेश्वर का दर्शन-लाभ लिया। शिप्रा तट पर पूजन-अर्चन के पश्चात् श्री चंद्रमौलेश्वर भगवान की सवारी श्री रामानुज कोट, कार्तिक चौक, खाती का मन्दिर, सत्यनारायण मन्दिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार से गुदरी बाजार होते हुए पुन: श्री महाकालेश्वर मन्दिर पहुँची।