17 जुलाई से वैवाहिक कार्यक्रमों पर ब्रेक , शुभ विवाह सहित मांगलिक कार्य रहेंगे निषेध 

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) 25 अप्रैल से सुख समृद्धि के दाता शुक्र ग्रह अस्त चल रहे थे। 29 जुन को उदय होने के साथ ही शहनाई गुंजने लगेगी। विवाह मांगलिक कार्य शुभ लग्न मुहूर्त शुरू होने से व्यापार व्यवसाय में उछाल आएगा। जुलाई माह के 9, 11, 12, 13, 14, 15, 16 और 17 जुलाई तक विवाह के शुभ मुहूर्त रहेंगे।

ज्योतिर्विद पं. अजय व्यास के अनुसार ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के अस्त और उदय होने की घटना को विवाह मांगलिक कार्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। जब शुक्र और गुरु अस्त होते हैं तो मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं जैसे ही दोनों ग्रहों का उदय होता है तो मांगलिक कार्यों की बहार आ जाती है। पाणिग्रहण संस्कार विवाह रस्मों का मुहूर्त निकालने के लिए लड़के-लड़की की राशियों में विवाह की एक समान तिथि को विवाह मुहूर्त के लिए लिया जाता है। हिन्दू धर्म की शादियों में सात फेरों के साथ 7 वचन निभाने की रस्म निभाई जाती है। वर-वधू की कुंडलियों का मिलान कर लेने के बाद उनकी राशियों में जो तारीखें समान होती हैं। उन तारीखों में विवाह करना शुभ माना जाता है।
तारा अस्त होने से नहीं हुए मांगलिक कार्य
पं. अजय व्यास ने बताया कि इस वर्ष मांगलिक कार्यों का ग्रह गुरु और शुक्र के अस्त होने से अक्षय तृतीया जैसे शुभमुहूर्त पर भी वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न नहीं हुए थे। जबकि अक्षय तृतीया पर बिना मुहूर्त के भी विवाह करने का प्रावधान बताया गया है।
चतुरमास में नहीं होंगे मांगलिक कार्य
पं व्यास के अनुसार इस बार अधिक मास नहीं होने के कारण चातुर्मास के बाद आने वाले सभी त्योहार 11 दिन पहले आएंगे। इस बार 17 जुलाई से चातुर्मास शुरू होगा और 12 नवबंर तक रहेगा। यानि इस बार पूरे 118 दिनों तक चातुर्मास रहेगा इस दौरान शुभ विवाह मांगलिक कार्य निषिद्ध है।
चतुर्मास देव आराधना तपस्या देवताओं के त्योहार के रुप मे प्रमुख तिथि तारिक मे बनाए जायेंगे। देव शयनी एकादशी 17 जुलाई, गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई, हरियाली अमावस्या 4 अगस्त, नाग पंचमी 9 अगस्त, रक्षाबंधन 19 अगस्त, जन्माष्टमी 26 अगस्त, हरतलीका तीज 6 सितंबर, पार्थिव गणेश स्थापना 7 सितंबर, ऋषि पंचमी 8 सितंबर, जलझूलनी एकादशी (डोल ग्यारस) 14 सितंबर, श्राद्ध पक्ष आरंभ 18 सितंबर, सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर, नवरात्र प्रारंभ 3 अक्टूबर, विजया दशमी 12 अक्टूबर, शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर, करवा चतुर्थी 20 अक्टूबर, धन तेरस 30 अक्टूबर, दीपावली 1 नवंबर, भाई दूज 3 नवंबर, प्रबोधिनी एकादशी (देवोत्थापन) 12 नवंबर को मनाई जाएगी। विशेष सयोंग श्रावण सोमवार से प्रारंभ होने से पांच सोमवार का होगा। श्रावण बाबा महाकाल की सात सवारी के रुप मे प्रजाजन को नगर भ्रमण पर निकलेंगे।

सांकेतिक चित्र-