23 साल तक दुनिया को धोखा देते रहे आफरीदी, ICC छीन सकती है ये बड़ा रिकॉर्ड

पाकिस्तान (स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी)आफरीदी की आत्मकथा में इस खुलासे का मतलब है कि 1996 में नैरोबी में जब उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ रिकॉर्ड 37 गेंदों में शतक जड़ा था, तो वह 16 साल के नहीं थे. पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट कप्तान शाहिद आफरीदी ने अंतत: अपनी आयु को लेकर बना रहस्य खत्म करते हुए खुलासा किया है कि उनका जन्म 1975 में हुआ था और आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1980 में नहीं. आफरीदी की आत्मकथा में इस खुलासे का मतलब है कि 1996 में नैरोबी में जब उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ रिकॉर्ड 37 गेंदों में शतक जड़ा था तो वह 16 साल के नहीं थे. आफरीदी ने अपनी आत्मकथा ‘गेम चेंजर’ में लिखा, ‘मैं सिर्फ 19 साल का था, 16 साल का नहीं जैसा कि उन्होंने दावा किया. मेरा जन्म 1975 में हुआ. इसलिए हां, अधिकारियों ने मेरी उम्र गलत लिखी.’ आफरीदी का 19 साल का होने का दावा भ्रम पैदा करने वाला है, क्योंकि अगर वह 1975 में पैदा हुए, तो उनकी उम्र रिकॉर्ड शतक के दौरान 21 साल होनी चाहिए.वनडे इंटरनेशनल: सबसे कम उम्र में शतक

1. शाहिद आफरीदी (पाक): 16 साल 217 दिन (विरुद्ध श्रीलंका, 1996)

2. उस्मान गनी (अफगानिस्तान): 17 साल 242 दिन (विरुद्ध जिम्बाब्वे, 2014)

3. इमरान नजीर (पाक): 18 साल 121 दिन (विरुद्ध जिम्बाब्वे, 2000)

4. सलीम इलाही (पाक): 18 साल 312 दिन (विरुद्ध श्रीलंका, 1995)

5. तमीम इकबाल (बांग्लादेश): 19 साल 2 दिन (विरुद्ध आयरलैंड, 2008)

अब सवाल यह है कि आफरीदी ने अपनी उम्र को लेकर पूरे करियर के दौरान चुप्पी क्यों साध रखी थी. उन्होंने अपनी सही उम्र का खुलासा खुद कर दिया है, तो क्या आईसीसी इस संबंध में कोई फैसला लेगी?

उन्होंने 27 टेस्ट, 398 वनडे और 99 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले. टी-20 वर्ल्ड कप 2016 के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले इस पूर्व कप्तान ने अपनी किताब में पूर्व दिग्गज गेंदबाजी वकार यूनिस को भी निशाना बनाया.

यूनिस 2016 में भारत में हुए टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान टीम के कोच थे. उन्होंने लिखा, ‘दुर्भाग्य से वह अतीत को नहीं भुला पाया. वकार और मेरा इतिहास रहा है, इसकी शुरुआत कप्तानी को लेकर वसीम के साथ उसके मतभेद को लेकर हुई. वह औसत दर्जे का कप्तान था, लेकिन बदतर कोच. वह हमेशा कप्तान यानी मुझे बताने का प्रयास करता था कि क्या करना है. यह स्वाभाविक भिड़ंत थी और ऐसा होना ही था.’