भारत में ऐसे 500 स्थान हैं जिनमें कश्मीर जैसे हालात -कुलश्रेष्ठ

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) आज यदि हम सच्चे अर्थों में अपने राष्ट्र को परमवैभव पर पहुंचाना चाहते हैं तो ये कार्य केवल भारत का समाज ही कर सकता है। ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि इसी देश के बेटे अपनी ही धरती पर शरणार्थी बनकर रह रहे हैं। इस देश को अनेकों लोग अंदर से तोड़ना चाहते हैं और आज हिंदुओं को उन लोगों को रोकना होगा। अनेको वर्षों से राष्ट्र को खंडित करने का प्रयास चल रहा है और आज तक भारत में ऐसे 500 स्थान हैं जिनमें कश्मीर जैसे हालात थे। अनेको वर्षों से हिंदुओं को डराने का उन्हें नीचा दिखाने का प्रयास चल रहा है और ये न केवल बाहरी शक्तियों के द्वारा बल्कि आंतरिक शक्तियों के द्वारा भी किया जा रहा है। इन आंतरिक शक्तियों ने जो राष्ट्र को खंडित करने का प्रयास कर रही है। इन ने हमें कभी अपनी संस्कृति को जानने से अपनी गौरवमयी परंपरा को जानने से रोका।
उक्त बात डाॅ. हेडगेवार स्मृति व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रूप में पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने वर्तमान आंतरिक चुनौतियां विषय पर प्रकाश डालते हुए कही। आपने कहा कि ये हमारा दुर्भाग्य है कि जो व्यक्ति देश के टुकड़े करने की बातचीत करते हैं उन्हें देश की राजनैतिक पार्टियां देश की संसद में पहुंचाने का प्रयास करती है और 150 से ज्यादा बाॅलीवुड के सितारे उस व्यक्ति का प्रचार करने वहां जाते हैं। ये लोग जो हिंदुओं और सेना को बदनाम करने की कोशिश लगातार चल रही थी इन लोगों ने तथाकथित नकली हिंदू आतंकवाद को पनपाना चाहा किंतु अब 2014 के बाद से उनके सभी मंसूबों पर पानी फिर गया है और उनकी हिंदू आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली और भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा बने इस्लामी आतंकवाद को उससे बहुत छोटा दिखाने का प्रयास नाकाम हो गया और वे अपने हिंदू समाज के गौरव को जो कम करना चाहते थे वो यह कार्य नहीं कर पाए। कुलश्रेष्ठ ने बताया कि जिस दिन हिंदू डरना छोड़ देगा उस दिन देश से आतंकवाद समाप्त हो जाएगी। आज यदि देश से आतंकवाद को समाप्त करना है तो हमें रोज 15 से ज्यादर सर्जिकल स्ट्राईक करनी होगी और आज वह समय है जब यदि देश का संपूर्ण हिंदू समाज वह समय है जब यदि देश का संपूर्ण हिंदू समाज चाहे तो हमारे राष्ट्र और धर्म पर कोई उंगली नहीं खड़ी कर सकता। सचिव राजेश पाटीदार के अनुसार केशव अर्चना लखन चैधरी ने की। अतिथि परिचय मनीष खंडेलवाल ने दिया। स्वागत अध्यक्ष पुष्पेन्द्र चित्तौड़ा थे, स्वागत भाषण विवेक सांखला ने दिया। व्यक्तिगत गीत सौरभ गर्दे ने प्रस्तुत किया। अध्यक्षीय उद्बोधन श्याम जायसवाल ने दिया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह डाॅ. अजयसिंह, राजेश शर्मा ने प्रदान किया। संचालन गौरीलाल परमार ने किया एवं आभार जीवनप्रकाश आर्य ने माना। वंदेमातरम गीत विशाल काले ने प्रस्तुत किया।