तकिया-कंबल के कवर तक चोरी कर ले गए AC कोच के पैसेंजर

जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। ट्रेन के कोच की दीवार पर दिखा था, रेलवे आपकी संपत्ति है, इसकी सुरक्षा कीजिए। इस बात को कई यात्रियों ने इतनी गंभीरता से लिया कि उन्होंने रेलवे की संपत्ति को न सिर्फ अपना समझकर बल्कि जो संभव था, उसे अपने साथ भी ले गए। ऐसे यात्रियों ने रेलवे के अधिकारियों का तनाव बढ़ा रखा है।

-जबलपुर से रवाना होने वाली ट्रेनों के एसी कोच में सफर करने वाले यात्री अपने साथ चादर-टॉवल ले गए। कई तो ताकिया और कंबल के कवर भी साथ ले गए।

-कई यात्रियों ने तो बाथरूम के नल की टोंटी और हैंडवॉश भी नहीं छोड़ा। इन चोरियों को रोकने के लिए रेलवे अब एसी कोच के पैसेंजर को जागरूक कर यह बताएगी कि इन चोरियों ने पैसेंजर और रेलवे को कितना नुकसान हो रहा है।

चादर-फेस टॉवल सबसे ज्यादा चोरी

जबलपुर स्टेशन से रोजाना 14 से 16 ट्रेनें रवाना होती हैं। इन ट्रेनों के एसी कोच में बेडरोल भी यहीं से चढ़ते और उतरते हैं, लेकिन जितनी संख्या में इन्हें कोच में रखा जाता है, उतनी संख्या में यह लौटकर नहीं आते। जबलपुर की ट्रेनों से पिछले 8 माह में लगभग 5 हजार 500 चादर चोरी हो गए। एसी कोच के पैसेंजर को दी जाने वाली फेस टॉवल चोरी होने की आंकड़े ने तो सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। अप्रैल से अक्टूबर के दौरान तकरीबन 20 हजार फेस टॉवल चोरी हुए, जो आज तक नहीं मिले।

सबसे ज्यादा दिल्ली की ट्रेनों में चोरी

बेडरोल चोरी होने के मामले ज्यादा जबलपुर से दिल्ली जाने वाली श्रीधाम, संपर्कक्रांति, गोंडवाना और महाकौशल ट्रेन में हुई। इसके बाद ओवरनाइट एक्सप्रेस में चादर-ताकिए चोरी हुए। दरअसल ये वो ट्रेनें हैं, जो रात को जबलपुर से चलकर सुबह गंतव्य तक पहुंचती हैं। रेलवे के सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि चोरियां भी ऐसी ही ट्रेनों में ज्यादा होती है, जो अपना सफर सुबह खत्म कर देती हैं।

चेहरा साफ किया और बैग में रख लिया

रेलवे के मुताबिक एसी कोच में उपयोग किया जाने वाला सामान, स्लीपर कोच की तुलना में ज्यादा चोरी होता है। जबकि एसी कोच में सफर करने वालों की संख्या कम होती है। इनमें सबसे ज्यादा चादर, कंबल, टॉवल और ताकिया चोरी होता है। इनकी वजह यह है कि यह बैग में आसानी से आ जाता है। रेलवे ने जब इन चोरियों का कारण जानना चाहता तो यह बात भी सामने आई की कई बार पैसेंजर, चेहरा साफ करके गलती से बैग में रख लेता है। हालांकि कई बार पैसेंजर यह चोरियां जान कर भी करते हैं।