29 साल बाद फिर दहशत में बहुसंख्यक समाज के लोग,पलायन से बचाने के लिए प्रधानमंत्री से गुहार

जयपुर।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) राजस्थान के टोंक में एक बार फिर सांप्रदायिक सौहर्द्र  बिगड़ने की आशंका बढ़ रही है। बहुसंख्यक समुदाय के लोग अचानक से सड़क पर उतरकर पलायन से बचाने की मांग कर रहे हैं। हाथों में बैनर-पोस्टर लिए समुदाय के लोग घरना पर बैठकर सरकार से बचाने की गुहार लगा रहे हैं।

करीब तीन दशक पहले टोंक जिले के मालुपरा कस्बे में बहुसंख्यक परिवार और अल्पसंख्यक परिवार आमने-सामने थे, लेकिन वक्त बीतने के साथ हालात सामान्य होते गए, पर 29 साल बाद हालत ऐसी बन गई है कि यहां पर अमन चैन खत्म हो रहा है। बहुसंख्यक समुदाय अपने आपको असुरक्षित बताते हुए अपने-अपने घरों पर पोस्टर लगाकर दूसरी जगह पलायन से बचाए जाने की मांग कर रहे हैं। लोग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीएम नरेंद्र मोदी से मांग कर रहे हैं कि उन्हें पलायन से बचाए।

पलायन से बचाने की गुहार
सबसे पहले वार्ड 12 के लोगों ने पलायन नहीं होने की मांग को लेकर धरना दिया, फिर वार्ड नंबर 19, 20, 23 व 27 में भी लोग अपने मकानों को नहीं बेचने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां के निवासियों का कहना है कि वह यहां से छोड़कर कहीं और नहीं जाना चाहते हैं। गौरतलब है कि 1992 के सांप्रदायिक दंगों (communal riots) के बाद अल्पसंख्यक बस्तियों में या फिर उनके पास रहने वाले कई बहुसंख्यक परिवार अपने पुश्तैनी मकानों को बेचकर अन्य स्थानों में बस चुके हैं।

क्या है पूरा मामला
दरअसल, करीब तीन दशक बाद बहुसंख्यक परिवार के लोग अचानक से सड़क पर क्यों उतर आए हैं तो इसके पीछे एक पुराना विवाद है। जैन मौहल्ले में रहने वाले एक ब्राह्मण परिवार ने अपना मकान एक अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति को बेच दिया। इससे जैन समुदाय बेहद खफा हुआ। यहां रहने वाले जैन परिवारों का मानना है कि यदि यह परिवार यहां रहने आ जाता है तो भविष्य में कभी भी विवाद का कारण बन सकता है। ऐसे में इस मकान की रजिस्ट्री को निरस्त किया जाना चाहिए, साथ ही भविष्य में किसी भी बहुसंख्यक परिवार के मकान को अल्पसंख्यक को बेचे जाने की प्रकिया पर रोक लगाई जानी चाहिए।

सीएम और पीएम से गुहार
बहुसंख्यकों की ओर से लगातार अपनी इस मांग को लेकर मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं। वहीं, बहुसंख्यक समुदाय की इस मांग पर मालपुरा तहसीलदार ओमप्रकाश जैन का कहना है कि कानून में किसी भी धर्म का व्यक्ति कहीं भी संपत्ति खरीद या बेच सकता है।