उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) बजरंग दल माधव प्रखंड उज्जैन महानगर ने शौर्य दिवस के उपलक्ष्य में दोपहर 12 बजे शौर्य यात्रा निकाली। यात्रा चकोर पार्क मक्सी रोड से प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गों से होती हुई टावर चौक पर समाप्त हुई।
बजरंग दल जिला सह संयोजक लवेश सोनी ने बताया कि 6 दिसंबर, 1992 का दिन केवल शौर्यगाथा नहीं असत्य पर सत्य की जीत का भी प्रतीक है। इसे बजरंग दल शौर्य दिवस के रूप में मनाती रही है। सनातन संस्कृति में शौर्य केवल साहस, निडरता या बलिदान का प्रतीक नहीं है। यह नैतिक बल. आत्म-त्याग तथा विषम परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखने का सत्व भी है। अधर्म : असत्य का प्रतीक ढांचा यदि सदियों टिका रहा, तो यह संयम एवं परीक्षा ही थी। श्रीमद्भगवद्गीता में कहा गया है कि किसी व्यक्ति का स्वाभाविक कर्तव्य उसकी प्रकृति और जीवन जीने का उद्देश्य मात्र ही धर्म नहीं है। धर्म वो कर्म है, जो सर्वकल्याण के लिए हो, जिसे आपकी आत्मा अनमति दे। सत्य, अहिंसा और समर्पण का गुण मिश्रित हो।
सर्वकल्याण के लिए एक श्लोक प्रचलित है-
सर्वें भवन्तु सुखिन:। सर्वे सन्तु निरामया:।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित दु:ख भाग्भवेत।
सनातन धर्म एवं संस्कति में कभी किसी के अनादर का भाव नहीं रहा। इसलिए बाबरी पतन की घटना शौर्य दिवस के रूप में मनाने का उद्देश्य दंभ का प्रदर्शन कतई नहीं है। बाबर क्रूरता, अन्याय के साथ मानवता और धर्म विरोधी मानसिकता का पर्याय था। मुगल साम्राज्य भारतीय इतिहास का काला अध्याय है। साम्राज्यवादी सोच स्वयं के विनाश का कारण बनती है। मुगलों का अंत इसी का परिणाम है। हिंदू धर्म केवल एक पंथ नहीं, बल्कि यह जीवन जीने की सनातन पद्धति-कला है, संस्कति है। सनातन संस्कति में समता, समानता और सद्राव का समावेश है। इसमें वसुधैव कुटुम्बकम का सत आचरण-भाव है। सनातन संस्कृति विध्वंस में नहीं सृजन में विश्वास करती है। बाबरी ढांचे का पतन नव सजन का आरंभ था।
यात्रा में जसवंत सोलंकी, दीपक सूर्यवंशी, नितिन मालवीय, बंटी राउट, पवन वर्मा, राम यादव, अभय कैथवास और संगठन के कार्यकर्ता व युवा उपस्थित रहे। यह जानकारी जिला मंत्री जसवंत सिंह ठाकुर के माध्यम से जिला प्रचार प्रसार प्रमुख हरिचरण परमार द्वारा दी गई। यात्रा के पश्चात टावर चौराहे पर स्थित डॉ. बी.आर. अंबेडकर जी की प्रतिमा पर पुष्प माला अर्पण कर अंबेडकर जी पुण्यतिथि मनाई गई।
