सृष्टि का अंतिम उद्देश्य पूर्णता को प्राप्त करना है -सुरेश सोनी

उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) पूर्णता की यात्रा में लक्ष्य का ज्ञान आवश्यक है। सृष्टि का अंतिम उद्देश्य पूर्णता को प्राप्त करना है। भारतीय चिंतन में परिवर्तन होता रहा है, लेकिन उसकी मूल आत्मा अक्षुण्ण रही है। प्रत्येक मनुष्य को नर से नारायण बनाना शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए।

यह उद्गार शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली, मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग, भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल एवं विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सहकार्यवाह एवं केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्री सुरेश सोनी ने व्यक्त किए। माधव सेवा न्यास में भारत के 30 प्रांतों से आए हुए 450 शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान के लिए विद्या- अविद्या, परा -अपरा, वस्तुतंत्र -पुरुषतंत्र दोनों का बोध आवश्यक है। भौतिक और आध्यात्मिक दोनों से मिलकर ज्ञान परंपरा पूरी बनती है। जीवन का अविभाज्य अंग सत्य है। ज्ञान से विज्ञान, विज्ञान से प्रज्ञान की ओर जाओ तब प्रज्ञा आती है। शिक्षण पद्धति में मनसा -वाचा -कर्मणा सबका समन्वय आवश्यक है। अतीत के गौरव से वर्तमान को समझते हुए भविष्य की परिकल्पना करना हमारा कर्तव्य है। उद्घाटन सत्र के आरंभ में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि शिक्षा बचाओ आंदोलन के बाद शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन के लिए देशव्यापी चिंतन मनन करता रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण में भी न्यास की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राष्ट्रीय केंद्रित और विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए न्यास देशभर में काम कर रहा है। इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पूर्व भी शिक्षा नीति और आयोग बनाए गए, किंतु उनका क्रियान्वयन नहीं होने से असफल रहे।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजय तिवारी ने करते हुए कहा कि न्याय पूर्ण, समानता पूर्ण समाज के निर्माण के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई है। देश परिवर्तन के शीर्ष पर खड़ा है। संचालन डॉ. राजेश्वर ने किया। आभार न्यास के प्रांत संयोजक डॉ राकेश ढंड ने माना। अतिथियों का स्वागत धीरेंद्र भदोरिया ग्वालियर, रामसागर मिश्र बड़वानी, डॉ. रामप्रकाश शर्मा अरुणाचल प्रदेश ने किया।