उज्जैन।(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) मालवा क्षेत्र की प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर ’संजा’, जो कि एक पारंपरिक लोक त्योहार है, आज धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर है। इस लोक पर्व को पुनर्जीवित करने और नई पीढ़ी को इससे जोड़ने के उद्देश्य से ओमकार सांस्कृतिक संस्थान द्वारा मोहन पूरा में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
यह कार्यशाला मालवा की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और संजा पर्व के महत्त्व को जन-जन तक पहुँचाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल रही। संजा पर्व विशेष रूप से मालवा की महिलाओं और युवतियों द्वारा मनाया जाता है, जिसमें वे दीवारों पर सुंदर रंगोलियां (संजा) बनाती हैं और लोकगीत गाती हैं। इस पर्व के माध्यम से समाज में सामूहिकता, सौंदर्य और परंपराओं का निर्वहन होता रहा है। कार्यशाला का शुभारंभ ओमकार सांस्कृतिक संस्थान की संस्थापक अमृता उषारिया द्वारा किया गया, जिन्होंने संजा के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे यह पर्व मालवा की आत्मा में बसता है और इसे सहेजने के लिए युवाओं को आगे आना चाहिए। कार्यशाला में स्थानीय कलाकारों ने संजा पर्व से जुड़े गीतों का भी सजीव प्रस्तुतीकरण किया। गाँव के बुजुर्गों ने संजा से जुड़ी अपनी स्मृतियों को साझा किया और नई पीढ़ी को इस लोक परंपरा को जीवित रखने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर ओमकार सांस्कृतिक संस्थान ने यह घोषणा की कि वे भविष्य में भी ऐसी और कार्यशालाओं का आयोजन करेंगे, जिससे न केवल संजा पर्व बल्कि अन्य लोक परंपराओं को भी संरक्षण मिलेगा। कार्यक्रम का समापन पारंपरिक संजा गीतों के साथ हुआ, जो कि मालवा की लोक संस्कृति की समृद्धि और विविधता को प्रदर्शित करता है। इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष प्रीति गुप्ता, सचिव भूषण जैन, मीना खत्री, राजेश गुप्ता, अंजलि सोलंकी, लक्ष्य गुप्ता, ईशा परमार, यतिका दीवान आदि उपस्थित थे।
