महू-खंडवा लाइन को नैरोगेज से ब्रॉडगेज में बदलने का कार्य जारी,नई रेल लाइन के लिए कटेंगे 1.24 लाख पेड़

इंदौर:(स्वदेश mp न्यूज़… राजेश सिंह भदौरिया बंटी) मध्य प्रदेश में रेलवे लाइन बिछाने के लिए कम से कम 1.24 लाख पेड़ काटे जाएंगे. प्रदेश में महू-खंडवा लाइन को नैरोगेज से ब्रॉडगेज में बदला जा रहा है. यह लाइन घने जंगलों से गुजरती है. दावा है कि यह नई रेलवे लाइन मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर और देश की वित्तीय राजधानी मुंबई के बीच की दूरी को कम करेगी और पश्चिमी मध्य प्रदेश का दक्षिण भारत से संपर्क भी मजबूत करेगी.

पर्यावरणविदों ने रेलवे लाइन के लिए पेड़ों की कटाई के प्रतिकूल प्रभावों की चेतावनी दी है, जबकि वन विभाग ने कहा है कि उसने एक विस्तृत शमन योजना तैयार की है. इंदौर के संभागीय वन अधिकारी प्रदीप मिश्रा ने बताया, ” महू-सनावद सेक्शन के निर्माण के लिए इंदौर और खरगोन जिलों के घने जंगलों में करीब 1.41 लाख पेड़ प्रभावित होने का अनुमान है.”

उन्होंने कहा, “हमारे अनुमान के अनुसार, 1.24 लाख पेड़ काटे जाएंगे, लेकिन हम बाकी पेड़ों को बचाने की पूरी कोशिश करेंगे. पहाड़ी क्षेत्र में रेलवे लाइन के लिए सुरंगों के निर्माण से भी कई पेड़ बचेंगे.” वन विभाग के अफसर ने बताया कि रेलवे परियोजना के लिए पेड़ काटने की केंद्र सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है और आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अंतिम मंजूरी जारी की जाएगी. उन्होंने बताया कि वन विभाग ने वन्यजीवों, मिट्टी और नमी पर पेड़ों की कटाई के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की है.

मिश्रा ने बताया कि महू-खंडवा आमान परिवर्तन परियोजना का महू-सनावद खंड इंदौर जिले में 404 हेक्टेयर और खरगोन जिले में 46 हेक्टेयर वन क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है. उन्होंने बताया कि पेड़ों की कटाई से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई के लिए दोगुने क्षेत्र में पेड़ लगाए जाएंगे. उन्होंने बताया, “इंदौर जिले में वृक्षारोपण के लिए सीमित भूमि उपलब्ध है. इसलिए धार और झाबुआ जिलों के वन प्रभागों में कुल 916 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण किया जाएगा… प्रति हेक्टेयर 1000 पेड़ लगाए जाएंगे.”

एक रेलवे अधिकारी ने बताया कि महू-खंडवा आमान परिवर्तन परियोजना के तहत 156 किलोमीटर लंबी ब्रॉड-गेज रेलवे लाइन बिछाई जानी है, जबकि भारत की आजादी से पहले बिछाई गई नैरो-गेज लाइन 118 किलोमीटर लंबी थी. अधिकारी ने बताया कि यह प्रोजेक्ट 2027-28 तक पूरा हो जाएगा. हालांकि, इंदौर के पर्यावरणविद् शंकरलाल गर्ग ने दावा किया, “रेलवे परियोजना के लिए चोरल और महू के घने जंगलों में बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाएंगे. इंदौर जैसे बड़े शहर की जलवायु काफी हद तक इन जंगलों पर निर्भर है. नतीजतन, पेड़ों की कटाई से शहर में बारिश और तापमान पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा.” उन्होंने कहा कि पेड़ों की कटाई के कारण वन क्षेत्र के घटने से मानव-वन्यजीव संघर्ष भी बढ़ेगा.

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